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बुकर टी. वाशिंगटन और नागरिक अधिकार आंदोलन

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बुकर टी. वाशिंगटन और नागरिक अधिकार आंदोलन अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन (1955-1968) का उद्देश्य अफ्रीकी अमेरिकी लोगों के खिलाफ नस्लिय भेदभाव को गैर कानूनी घोषित करना और दक्षिण अमेरिका में मतदान अधिकार को पुन: स्थापित करना था। गृहयुद्ध के बाद अश्वेतों को गुलामी से मुक्त कर दिया गया था लेकिन उसके बावजूद भी उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। पुनर्निर्माण और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच अश्वेतों की स्थिति ओर खराब हो गई। इस दौरान बुकर टी. वाशिंगटन इनके लिए एक प्रभावशाली नेता बनकर उभरे। वाशिंगटन ने अफ्रीकी-अमेरिकियों के लिए व्यावसायिक शिक्षा और औद्योगिक शिक्षा को बढ़ावा दिया ताकि वह आर्थिक रूप से संपन्न और कुशल बन सके। पृषठभूमि दक्षिण अमेरिका में अश्वेतों ने संघर्ष कर अपने आपको दासता मुक्त कराया। अश्वेतों ने अपनी संस्थाएं बनाई जिससे अश्वेत राष्ट्रवाद का उदय हुआ। नेशनल नीग्रो कन्वेंशन जैसे कई नीग्रो संगठन बने। गृहयुद्ध के दौरान अफ्रीकी-अमेरिकी नेताओं के बीच कट्टरपंथी विचारों का विकास हुआ। बिशप एम. टर्नर, मार्टिन आर. डेलानी और अलेक्ज़ेंडर क्रूमेल ने अश्वेतों के लिए एक स्वायत्त राज्य की...

बारुद और आग्नेयास्त्र (मुगल भारत)

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मुगलों द्वारा अग्नेयास्त्र और बारूद का उपयोग मुग़ल साम्राज्य की सफलता में आग्नेयास्त्रों और बारूद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुगलों ने विशाल क्षेत्रों को जीतने और उन पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए तोपखाने और आग्नेयास्त्रों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया। इन उन्नत हथियारों ने उन्हें अपने विरोधियों पर सैन्य लाभ दिया, जिससे वे किलेबंदी को तोड़ने और दूर से दुश्मनों को हराने में सक्षम हो गए। इस तकनीकी श्रेष्ठता ने पूरे भारतीय महाद्वीप में मुगलों के सैन्य प्रभुत्व और विस्तार में योगदान दिया। लगभग 13वीं-14वीं शताब्दी में बारूद का उपयोग बहमनियों, ओटोमन्स और मुगलों सहित विभिन्न साम्राज्यों द्वारा किया जाने लगा है।  मुगलों की शुरुआती सफलताओं में तीन प्रमुख लड़ाई शामिल है, जिसके कारण वास्तव में उनकी सत्ता स्थापित हुई। 1526 में इब्राहिम लोधी पर बाबर की जीत, 1556 में बैरम खान की जीत, और 1527 में खानवा में बाबर की राणा सांगा पर जीत। पानीपत और खानवा की लड़ाइयों ने खुले मैदान में तोपों के सफल संचालन की स्थापना की। बाबर की सेना के पास दर्जनों तोपें थीं। खुली लड़ाई में आग्नेयास्त्रों का प्रभाव...

स्पेनिश-अमेरिकी युद्ध (1898)

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स्पेन-अमेरिका युद्ध (1898) 1898 में स्पेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच हुए युद्ध को स्पेनिश-अमेरिकी युद्ध के नाम में जाना जाता है। युद्ध का तत्कालीन कारण क्यूबा था। क्यूबा पर स्पेन का अधिकार था। वहां के लोग स्पेन के अत्यचारी शासन से असंतुष्ट थे। 1868 से 1878 तक उन्होंने स्पेनी शासन से मुक्त होने के लिए संघर्ष भी किया। जिसे दस वर्षीय युद्ध के नाम से जाना जाता है। इस अवधि में अमेरिका ने क्यूबा के नागरिको के प्रति सहानुभूति भी दिखलाई, किंतु अमेरिका तटस्थ रहा। 1873 में स्पेन ने क्यूबा के शस्त्रवाहक जहाज Virginius को पकड़ लिया और इसके 53 लोगो की हत्या कर दी। जहाज अमरीकी झंडे के साथ था तथा उसके कुछ कर्मी अमरीकी थे। अतः अमरीका में बड़ी सनसनी फैल गई। किन्तु, विदेश सचिव Hamilton Fish ने स्पेनी सरकार से वर्जीनिस को लौटाने और हत्या किए हुए परिवारों को कुछ मुआवजा देने का अनुरोध कर मामला शांत कर दिया। 1895 ई० में क्यूबा में पुनः विद्रोह हो गया। वहाँ न केवल स्पेन के कुशासन से असंतोष था, बल्कि अमरीकी सीमा शुल्क से भी लोगों की परेशानी बढ़ गई थी। क्यूबा मुख्य रूप से चीनी निर्यात करता था और संय...