स्पेन-अमेरिका युद्ध (1898)
1898 में स्पेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच हुए युद्ध को स्पेनिश-अमेरिकी युद्ध के नाम में जाना जाता है। युद्ध का तत्कालीन कारण क्यूबा था। क्यूबा पर स्पेन का अधिकार था। वहां के लोग स्पेन के अत्यचारी शासन से असंतुष्ट थे। 1868 से 1878 तक उन्होंने स्पेनी शासन से मुक्त होने के लिए संघर्ष भी किया। जिसे दस वर्षीय युद्ध के नाम से जाना जाता है। इस अवधि में अमेरिका ने क्यूबा के नागरिको के प्रति सहानुभूति भी दिखलाई, किंतु अमेरिका तटस्थ रहा। 1873 में स्पेन ने क्यूबा के शस्त्रवाहक जहाज Virginius को पकड़ लिया और इसके 53 लोगो की हत्या कर दी। जहाज अमरीकी झंडे के साथ था तथा उसके कुछ कर्मी अमरीकी थे। अतः अमरीका में बड़ी सनसनी फैल गई। किन्तु, विदेश सचिव Hamilton Fish ने स्पेनी सरकार से वर्जीनिस को लौटाने और हत्या किए हुए परिवारों को कुछ मुआवजा देने का अनुरोध कर मामला शांत कर दिया।
1895 ई० में क्यूबा में पुनः विद्रोह हो गया। वहाँ न केवल स्पेन के कुशासन से असंतोष था, बल्कि अमरीकी सीमा शुल्क से भी लोगों की परेशानी बढ़ गई थी। क्यूबा मुख्य रूप से चीनी निर्यात करता था और संयुक्त राज्य अमरीका इसका प्रधान बाजार था। 1894 ई० में अमरीका ने Wilson Gorman Tariff की दर में 14% वृद्धि कर दी। इससे क्यूबा की अर्थव्यवस्था असंतुलित हो गई। अतः वहाँ के लोगों ने विद्रोह कर दिया।
विद्रोह की भयानकता से अमरीकी भयभीत हो गए। क्यूबा के लोगों ने जान-बूझकर द्वीप को उजाड़ दिया जिससे स्पेनी क्यूबा छोड़कर चले जाए। अतः विद्रोह-दमन के लिए स्पेनियों ने कड़े कदम उठाए। जनरल Valeriano Weyler ने नजर-बंदी शिविरों (Concentration Camps) में अनेक विद्रोहियों को बंद कर दिया जहाँ उनकी बीमारी और भोजन के अभाव के कारण मृत्यु हो गई।
दसवर्षीय युद्ध में भी इस तरह के कड़े कदम उठाए गए थे। लेकिन उनसे अमरीकियों की भावनाओं पर कोई ठेस नहीं पहुँची थी। किन्तु, 1895 ई के विद्रोह-दमन के लिए जो निर्मम कदम उठाए गए, उनसे अमरीकी भड़क उठे। 1895 के विद्रोह को अमरीकी प्रेसों ने काफी उछाला। लोगों में यह बात घर कर गई कि स्पेनी अत्याचार ढाह रहे हैं। इसी समय The New York World के संपादक Joseph Pulitzer और The New York Journal के संपादक William Randolph Heart पत्रकारिता को एक नया आयाम दे रहे थे। इसे पीली पत्रकारिता (Yellow Journalism) करते हैं। ये सनसनीखेज व उत्तेजनापूर्ण समाचार छापने लेगे। किन्तु. राष्ट्रपति Grover Cleveland बिल्कुल शांत रहा। वह क्यूबा में स्पेन के निर्ममतापूर्ण व्यवहार से परिचित था, लेकिन वह इसमें अमेरिका को शामिल नहीं करना चाहता था। उसने तटस्थता की घोषणा कर दी। जिससे कुछ समय के लिए युद्ध की संभावना टल गई।
किन्तु इसके बाद दो घटनाओं ने पुनः युद्ध की स्थिति उत्पन्न कर दी। 9 फ़रवरी 1898 को न्यूयोर्क जनरल में एक विशेष व्यक्तिगत पत्र प्रकाशित हुआ। जो अमेरिका में नियुक्त स्पेन के राजदूत Enrique Dupuy de Lôme ने अपने एक क्यूबाई मित्र को लिखा था। इस पत्र में राष्ट्रपति William McKinley के बारे में कुछ अशोभनीय बाते लिखी थी। उसे एक कमजोर राष्ट्रपति बताने के साथ-साथ यह भी लिखा गया कि वह "एक ऐसा राजनेता है जो अपने दाल के उग्र राष्ट्रवादियों के साथ गठजोड़ बनाय हुए है और समय आने पर उनके पलायन के लिए अपनी पीठ पीछे का दरवाजा खुला रखता है।" इस पत्र के प्रकाशित होते ही राष्ट्रवादी और उसे पढ़ने वाले लोग आगबबूला हो गए।
इसी समय एक दूसरी सनसनीखेज घटना घटी, हवाना बन्दरगाह में Maine युद्धपोत को उड़ा दिया गया। इसमें 260 लोग मारे गए, जिसमे अमेरिकी भी शामिल थे। अनेक अमरीकियों के दिल में यह बात बैठ गई कि स्पेनियों ने जहाज को डुबा दिया है। साम्राज्यवादी और युद्धप्रिय लोग अब युद्ध की माँग करने लगे। इसी समय एक नौसैनिक अदालत ने यह रिपोर्ट दी कि मेन युद्धपोत के डूबने में पनडुब्बी जहाज का हाथ है। पूरे देश में स्पेन के विरुद्ध युद्ध की मांग होने लगी। मेन-घटना के बाद सरकार लोगों को युद्ध में जाने से नहीं रोक सकती थी। McKinley ने क्यूबा में संघर्ष का अन्त करने के लिए कांग्रेस से सैनिक कार्रवाई करने व युद्ध करने का अधिकार माँगा। 19 अप्रैल को कांग्रेस ने बहुमत से युद्ध करने की अनुमति दे दी। इसके साथ ही अमेरिका ने युद्ध का आगाज कर दिया।
अमरीकी नौसेना दुनिया की पाँचवीं बड़ी नौसेना थी। नौसेना का सहायक सचिव Theodore Roosevelt था। उसने प्रशान्त महासागर-स्थित स्पेनी फिलिपीन द्वीपसमूह पर अधिकार करने की योजना बनाई। उसने एशियाई संगठित दल के कमांडर George Dewey को फिलिपीन पर आक्रमण करने का आदेश दे दिया। युद्ध की घोषणा होते ही डिबे चीन से फिलिपीन की राजधानी मनीला के लिए चल पड़ा। उसने वहाँ स्पेनी नौसेना को पराजित किया। उसे एडमिरल बना दिया गया और वह पहला युद्धनायक बन गया। अभी भी स्पेनी मनीला नगर में थे जिन्हें हटाने के लिए डिवे के पास सेना का अभाव था। सरकार ने एक अभियान-सेना भेज दी। 13 अगस्त को मनीला ने आत्म समर्पण कर दिया। युद्ध क्यूबा को स्वतंत्र करने के लिए किया गया था, लेकिन इसका परिणाम फिलिपीन-विजय साबित हुआ।
किन्तु, क्यूबा को युद्ध के मानचित्र से अलग नहीं रखा गया। अप्रैल में संयुक्त राज्य को पता लगा कि क्यूबा में बन्दरगाह पर अधिकार करने के लिए एडमिरल Pascual Cervera के अधीन एक स्पेनी नौसेना चल पड़ी है। किन्तु सेरवेग का यह अभियान अमरीकी अटलांटिक संगठित दल के सामने नगण्य था। स्पेनी सरकार भी इस बात को जानती थी। अमरीकी नौसेना ने सेरवेरा के जहाजी बेड़े को नष्ट कर दिया और प्यूरीटो रीको पर भी अधिकार कर लिया गया। स्पेन की हार हो गई। उसने वाशिंगटन स्थित फ्रांसीसी राजदूत के द्वारा शांति संधि की माँग की और अगस्त को युद्ध विराम संधि द्वारा युद्ध का अंत हो गया।
साम्राज्यवादी विचारधारा :- संधि के अनुसार स्पेन ने क्यूबा, गुवाम, फिलीपींस तथा प्यूरीटो रीको को आजाद कर दिया। अमेरिका ने गुवाम को अपने नौसैनिक केंद्र के रूप में स्थापित कर लिया तथा प्यूरीटो रीको और फिलीपींस को अपने अधीन कर लिया। स्पेन और अमेरिका के बीच हुआ युद्ध अमेरिकी विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हुआ। उसने कैरेबियन समूहों पर अपने प्रभुत्व को स्थापित किया।
हालाँकि क्यूबा संयुक्त राज्य अमेरिका का उपनिवेश नहीं था, लेकिन युद्ध के दौरान और बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका ने क्यूबा के मामलों में हस्तक्षेप किया, इसकी राजनीति को प्रभावित किया और द्वीप की अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण नियंत्रण स्थापित किया। इसके कारण 1901 में प्लैट संशोधन लागू हुआ, जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका को क्यूबा के मामलों में हस्तक्षेप करने और द्वीप पर सैन्य उपस्थिति बनाए रखने का अधिकार दिया। 1903 तक क्यूबा अमेरिका का संरक्षित देश बन गया।
स्पैनिश-अमेरिकी युद्ध को अक्सर अमेरिकी साम्राज्यवाद के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं ने युद्ध की शुरुआत और उसके बाद के परिणामों में भूमिका निभाई। युद्ध ने संयुक्त राज्य अमेरिका को अपने प्रभाव का दावा करने और अपनी मुख्य भूमि से परे अपने क्षेत्रों का विस्तार करने का अवसर प्रदान किया।
1898 में पेरिस की संधि के माध्यम से प्यूरीटो रीको, गुवाम और फिलीपींस जैसे उपनिवेशों का अधिग्रहण करके, संयुक्त राज्य अमेरिका विदेशी संपत्ति के साथ एक शाही शक्ति बन गया। इन क्षेत्रों का अधिग्रहण आर्थिक हितों, रणनीतिक विचारों और भू-राजनीतिक प्रभाव की इच्छा सहित विभिन्न कारकों से प्रेरित था। संयुक्त राज्य अमेरिका ने नौसैनिक अड्डों, व्यापार मार्गों और बाजारों तक पहुंच को सुरक्षित करते हुए कैरिबियन और प्रशांत क्षेत्र में एक मजबूत उपस्थिति स्थापित करने में सफल रहा।
स्पेन-अमेरिका युद्ध के कारणों के बारे में इतिहासकारो में लम्बे समय से विवाद चल रहा है। चार्ल्स बियर्ड और विलियम फाकनर जैसे इतिहासकारों की मान्यता है कि बाजार-विस्तार और निवेश के लिए नए-नए क्षेत्र खोजने के उद्देश्य को लेकर युद्ध हुआ। युद्ध नियति की अवधारणा से भी प्रभावित था, जो लंबे समय से अमेरिकी क्षेत्रीय विस्तार के पीछे एक प्रेरक शक्ति रही थी। मेनिफेस्ट डेस्टिनी का मानना था कि अपनी सीमाओं का विस्तार करना तथा उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप और उससे आगे अपना प्रभाव फैलाना संयुक्त राज्य अमेरिका की नियति थी।
कुल मिलाकर, स्पैनिश-अमेरिकी युद्ध अमेरिकी इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जो शाही महत्वाकांक्षाओं के साथ वैश्विक शक्ति बनने के लिए देश के संक्रमण का प्रतीक था। इसने अमेरिकी साम्राज्यवाद की प्रकृति और अंतरराष्ट्रीय मामलों में इसकी भूमिका के बारे में बहस छेड़ दी, जिसने अगले दशकों में अमेरिकी विदेश नीति को आकार देना जारी रखा।
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