संदेश

मई, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बुकर टी. वाशिंगटन और नागरिक अधिकार आंदोलन

चित्र
बुकर टी. वाशिंगटन और नागरिक अधिकार आंदोलन अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन (1955-1968) का उद्देश्य अफ्रीकी अमेरिकी लोगों के खिलाफ नस्लिय भेदभाव को गैर कानूनी घोषित करना और दक्षिण अमेरिका में मतदान अधिकार को पुन: स्थापित करना था। गृहयुद्ध के बाद अश्वेतों को गुलामी से मुक्त कर दिया गया था लेकिन उसके बावजूद भी उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। पुनर्निर्माण और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच अश्वेतों की स्थिति ओर खराब हो गई। इस दौरान बुकर टी. वाशिंगटन इनके लिए एक प्रभावशाली नेता बनकर उभरे। वाशिंगटन ने अफ्रीकी-अमेरिकियों के लिए व्यावसायिक शिक्षा और औद्योगिक शिक्षा को बढ़ावा दिया ताकि वह आर्थिक रूप से संपन्न और कुशल बन सके। पृषठभूमि दक्षिण अमेरिका में अश्वेतों ने संघर्ष कर अपने आपको दासता मुक्त कराया। अश्वेतों ने अपनी संस्थाएं बनाई जिससे अश्वेत राष्ट्रवाद का उदय हुआ। नेशनल नीग्रो कन्वेंशन जैसे कई नीग्रो संगठन बने। गृहयुद्ध के दौरान अफ्रीकी-अमेरिकी नेताओं के बीच कट्टरपंथी विचारों का विकास हुआ। बिशप एम. टर्नर, मार्टिन आर. डेलानी और अलेक्ज़ेंडर क्रूमेल ने अश्वेतों के लिए एक स्वायत्त राज्य की...

युद्धरत साम्यवाद

चित्र
युद्धरत साम्यवाद सोवियत राष्ट्र द्वारा जून 1918 से मार्च 1921 तक अपनाई गई नीति को युद्धरत साम्यवाद की संज्ञा दी गई है। विश्वयुद्ध तथा गृहयुद्ध के कारण सोवियत आर्थिक ढाँचा नष्ट हो गया। इसलिए सरकार को युद्धरत साम्यवाद की नीति को अपनाना पड़ा। युद्धरत साम्यवाद के तहत भूमि, किसानों और जमींदारों से छीनकर राज्य की घोषित कर दी गई और फिर उसको किसानों में बांट दिया गया। सरकार ने किसानों से जबरन अनाज लेने की नीति अपनाई, अपने खाने लायक अनाज को छोड़कर बाकी संपूर्ण उत्पादन सरकार को देने के लिए किसान बाध्य हो गया। उत्पादन को बाजार में बेचने से रोकने के लिए सशस्त्र टुकड़ियों को किसानों के अनाजों को जब्त करने के लिए भेजा गया। अनाज संग्रह करने वाले को कठोर सजाएं दी गई। गृह युद्ध और बोल्शेविक सरकार द्वारा बलपूर्वक अनाज लेने के खिलाफ कृषकों ने विद्रोह किया, जिससे कृषि उत्पादन में भारी गिरावट आई। देश में भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई और अकाल पड़ गया। कारण खेतों का असंतोषजनक विभाजन: बोल्शेविक क्रांति के सफल होने के बाद कृषकों से भूमि छीनकर उसका पुनः बँटवारा किया गया। भूमि के अव्यवस्थित विभाजन से किसानों म...