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बुकर टी. वाशिंगटन और नागरिक अधिकार आंदोलन

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बुकर टी. वाशिंगटन और नागरिक अधिकार आंदोलन अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन (1955-1968) का उद्देश्य अफ्रीकी अमेरिकी लोगों के खिलाफ नस्लिय भेदभाव को गैर कानूनी घोषित करना और दक्षिण अमेरिका में मतदान अधिकार को पुन: स्थापित करना था। गृहयुद्ध के बाद अश्वेतों को गुलामी से मुक्त कर दिया गया था लेकिन उसके बावजूद भी उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। पुनर्निर्माण और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच अश्वेतों की स्थिति ओर खराब हो गई। इस दौरान बुकर टी. वाशिंगटन इनके लिए एक प्रभावशाली नेता बनकर उभरे। वाशिंगटन ने अफ्रीकी-अमेरिकियों के लिए व्यावसायिक शिक्षा और औद्योगिक शिक्षा को बढ़ावा दिया ताकि वह आर्थिक रूप से संपन्न और कुशल बन सके। पृषठभूमि दक्षिण अमेरिका में अश्वेतों ने संघर्ष कर अपने आपको दासता मुक्त कराया। अश्वेतों ने अपनी संस्थाएं बनाई जिससे अश्वेत राष्ट्रवाद का उदय हुआ। नेशनल नीग्रो कन्वेंशन जैसे कई नीग्रो संगठन बने। गृहयुद्ध के दौरान अफ्रीकी-अमेरिकी नेताओं के बीच कट्टरपंथी विचारों का विकास हुआ। बिशप एम. टर्नर, मार्टिन आर. डेलानी और अलेक्ज़ेंडर क्रूमेल ने अश्वेतों के लिए एक स्वायत्त राज्य की...

खुश्चेव की विदेश नीति

खुश्चेव की विदेश नीति निकिता खुश्चेव 1953 से 1964 तक सोवियत संघ के नेता थे। खुश्चेव ने एक ऐसी विदेश नीति अपनाई जिसका उद्देश्य सोवियत हितों को बढ़ावा देना और दुनिया भर में सोवियत प्रभाव का विस्तार करना था। 8 फरवरी 1955 को मालनकोव ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद बुलगानिन प्रधानमंत्री बना और निकिता खुश्चेव को दल का सचिव बनाया गया। इन दोनों के द्वारा अपनाई गई विदेश नीति को "बुलगानिन खुश्चेव कूटनीतिज्ञता" के नाम से जाना जाता है। किंतु 3 साल बाद 1958 में खुश्चेव ने स्वयं को प्रधानमंत्री एवं दल के सचिव के रूप में स्थापित कर लिया। बुलगानिन के पतन के बाद खुश्चेव विदेश नीति का वास्तविक प्रमुख बन गया। इसके बाद आंतरिक एवं विदेशी राजनीति में निकिता खुश्चेव सबसे शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में उभरा। उसे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और आंतरिक विषयों की पर्याप्त जानकारी थी, इसी योग्यता के बल पर वह विदेश नीति को एक नया रूप देने में सफल हुआ। 1955-56 के मध्य खुश्चेव के उत्कर्ष के साथ सोवियत संघ एक "सुपर शक्ति" बन गया। स्तालिन के विकास कार्यों का लाभ खुश्चेव को विरासत में मि...