संदेश

दिसंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मार्कस गार्वे / UNIA / नागरिक अधिकार आंदोलन

चित्र
मार्कस गार्वे / UNIA / नागरिक अधिकार आंदोलन मार्कस गार्वे का जन्म 17 अगस्त, 1887 को जमैका के सेंट एनबे में हुआ था। 14 साल की उम्र में वे किंग्स्टन चले गए, जहाँ उन्होंने एक प्रिंटर चालक के रूप में काम किया और मजदूरों की दयनीय जीवन स्थिति से परिचित हुए। जल्द ही उन्होंने खुद को समाज सुधारको में शामिल कर लिया। गार्वे ने 1907 में जमैका में प्रिंटर्स यूनियन हड़ताल में भाग लिया और 'द वॉचमैन' नामक अखबार स्थापित करने में मदद की। जब वे अपनी परियोजनाओं के लिए धन जुटाने के लिए द्वीप छोड़कर गए, तो उन्होंने मध्य और दक्षिण अमेरिका का दौरा किया और पाया की बड़े पैमाने पर अश्वेत लोग भेदभाव के शिकार थे। गार्वे ने पनामा नहर क्षेत्र का दौरा किया और उन परिस्थितियों को देखा जिसके तहत वेस्ट इंडियन लोग रहते और काम करते थे। वे इक्वाडोर, निकारागुआ, होंडुरास, कोलंबिया और वेनेजुएला भी गए और देखा की हर जगह अश्वेतों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। मध्य अमेरिका की इस स्थिति से दुखी होकर गार्वे वापस जमैका लौट आए और जमैका की औपनिवेशिक सरकार से मध्य अमेरिका में वेस्ट इंडियन श्रमिकों की ...

मुग़ल वास्तुकला/स्थापत्यकला

मुग़ल वास्तुकला/स्थापत्यकला परिचय:- मुगलकालीन स्थापत्य कला मध्यकालीन भारत में विकसित सांस्कृतिक जीवंत का प्रतीक है। मुगल शासक कला के विभिन्न पक्षों के न केवल संरक्षक तथा पोषक थे, अपितु स्वयं कला के पारखी भी थे। उनके शासनकाल में स्थापत्य कला के क्षेत्र में विभिन्न कला तत्वों का समावेश कर उनकी विशिष्ट शैलियों का विकास किया गया। दिल्ली सल्तनत के पतन के साथ ही स्थापत्य कला का एक अध्याय समाप्त हुआ और मुगल शासन की स्थापना के साथ इस क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात हुआ। मुगलकालीन स्थापत्य कला के क्षेत्र में नवीन प्रयोग एवं उन्नत तकनीक के बल पर जो मानक स्थापित हुए वे आज भी मौजूद है। इस युग में भवन निर्माण की विशेषता, विविधता तथा सुंदरता ने वस्तुकला विशेषज्ञों तथा इतिहासकारों को भी अचंभित किया है। पर्सी ब्राउन ने जहां इस काल की वास्तुकला को प्रकाश तथा उर्वरा की घोतक ग्रीष्म ऋतु के रूप में संबोधित किया है, वहीं स्मिथ ने इसे वास्तुकला की रानी कहा है। मुगलकाल में बाबर से औरंगजेब के शासन काल तक महान मुगलों के काल में भवन निर्माण की विशेषता, विविधता और सौंदर्य की तुलना गुप्तकाल से की जा सकती है। इस...

मुगलकाल में शिल्पकला

मुगलकाल में शिल्पकला परिचय:- मुगलकाल में अनेक लघु पैमाने वाले उद्योग संचालित थे। ऐसे उद्योग हस्तशिल्प के रूप में स्थापित थे। किंतु तकनीकी कौशल एवं अर्थव्यवस्था के घटक के रूप में उनका महत्वपूर्ण स्थान था। उपयोगिता की दृष्टि से किसी भी दशा में उनका महत्व बड़े पैमाने के उद्योगों से कम नहीं था। इन लघु उद्योगों ने मुगल काल में शिल्पकला के विकास में योगदान दिया। तकनीकी परिवर्तन ने इसके विकास को और तीव्र कर दिया। मुगल बादशाहों ने अपने रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं के निर्माण के लिए भी शिल्प उद्योगों को बढ़ावा दिया। बादशाह एवं अमीर वर्ग कीमती वस्तुओं को अपनी शानो -शौकत दिखाने के लिए तथा अपने कक्ष को सजाने के लिए इन वस्तुओं का निर्माण करवाते थे। कपड़ा उद्योग:- सल्तनत काल से ही वस्त्र उद्योग का महत्वपूर्ण यंत्र चरखी प्रचलन में थे। जिससे मोटे प्रकार का सूत काता जाता था। इरफान हबीब के अनुसार इसमें 11वीं सदी में हैंडल लग गया था। हैंडल लगने के कारण चरखे की गति बढ़ गई थी अर्थात चरखा पहले की तुलना में अधिक सूत की कताई करता था। 17वीं सदी में नकाशीदार सिल्क, सूती तथा जरीदार कपड़ों की बुनाई ह...