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बुकर टी. वाशिंगटन और नागरिक अधिकार आंदोलन

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बुकर टी. वाशिंगटन और नागरिक अधिकार आंदोलन अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन (1955-1968) का उद्देश्य अफ्रीकी अमेरिकी लोगों के खिलाफ नस्लिय भेदभाव को गैर कानूनी घोषित करना और दक्षिण अमेरिका में मतदान अधिकार को पुन: स्थापित करना था। गृहयुद्ध के बाद अश्वेतों को गुलामी से मुक्त कर दिया गया था लेकिन उसके बावजूद भी उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। पुनर्निर्माण और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच अश्वेतों की स्थिति ओर खराब हो गई। इस दौरान बुकर टी. वाशिंगटन इनके लिए एक प्रभावशाली नेता बनकर उभरे। वाशिंगटन ने अफ्रीकी-अमेरिकियों के लिए व्यावसायिक शिक्षा और औद्योगिक शिक्षा को बढ़ावा दिया ताकि वह आर्थिक रूप से संपन्न और कुशल बन सके। पृषठभूमि दक्षिण अमेरिका में अश्वेतों ने संघर्ष कर अपने आपको दासता मुक्त कराया। अश्वेतों ने अपनी संस्थाएं बनाई जिससे अश्वेत राष्ट्रवाद का उदय हुआ। नेशनल नीग्रो कन्वेंशन जैसे कई नीग्रो संगठन बने। गृहयुद्ध के दौरान अफ्रीकी-अमेरिकी नेताओं के बीच कट्टरपंथी विचारों का विकास हुआ। बिशप एम. टर्नर, मार्टिन आर. डेलानी और अलेक्ज़ेंडर क्रूमेल ने अश्वेतों के लिए एक स्वायत्त राज्य की...

फ्रांसीसी क्रांति में प्रकाशनों की भुमिका

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फ्रांसीसी क्रांति में प्रकाशनों की भूमिका प्रिंटिंग प्रेस ने क्रांतिकारी विचारों का प्रसार करके और व्यापक आबादी को संचार और सूचना प्रसार का साधन प्रदान करके फ्रांसीसी क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे जनता को लामबंद करने और सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन लाने में मदद मिली। इसने समाचारों, राजनीतिक पैम्फलेटों और क्रांतिकारी घोषणापत्रों के तेजी से प्रसार को बढ़ावा दिया और क्रांति के लिए जनता की राय और समर्थन को प्रेरित करने में मदद की। प्रिंटिंग प्रेस ने क्रांति के विचारधारा को आकार देने में भी भूमिका निभाई, क्योंकि विभिन्न समूहों और गुटों ने इसका इस्तेमाल अपने विचारों और एजंडो को बढ़ावा देने के लिए किया। इतिहासकार लिन हंट  जिन्होंने फ्रांसीसी क्रांति में प्रिंटिंग प्रेस की भूमिका पर विस्तार से लिखा है। अपनी पुस्तक,"फ्रांसीसी क्रांति में राजनीति, संस्कृति और वर्ग" में, कहा है की प्रिंटिंग प्रेस ने राजनीतिक संचार के एक नए रूप की अनुमति दी, जहां लोग बड़े पैमाने पर एक-दूसरे और राज्य के साथ जुड़ सके। संचार के इस नए रूप ने जनमत को आकार देने में मदद की और क्रांति की सफलता में मह...

कन्फूसियसवाद

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कन्फूसियसवाद   प्राचीन काल में चीन के दार्शनिक विचारों ने व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करने बजाय सामाजिक जरूरतों को पूरा किया। इस समय में उत्पन्न हुए अधिकतर विचारक नौकरशाही तथा राजनितिक व्यवस्था की उत्पत्ति थे जो राजनितिक समूह से आते थे। आगे चलकर इन विचारकों ने अपने गुट बना लिए और वे उपदेशक हो गए। धीरे धीरे उनके शिष्यों ने उनकी विचारधाराओं को स्थापित किया। इनमे से ही एक विचारधारा कन्फूसियसवाद थी। जिसका अनुसरण चीन ने कई शताब्दियों तक किया। कन्फूसियसवाद एक पश्चिमी नाम है। चीनियों द्वारा इसे जू शियाओ या " विद्वानों का उपदेश" कहा जाता है। कन्फूसियस कब अस्तित्व में आया इसको लेकर विवाद है। चीनी उसके जन्म का समय 551 ई.पू. मानते है तथा वह 479 ई.पू. तक जीवित रहा। उसने एक छोटे अधिकारी के रूप में कई कार्य किये। जैसे कि उसने गोदाम प्रबंधन, अध्यापन, अपराध के लिए दंड देने वाले तथा सामाजिक कानून व्यवस्था बनाए रखने वाले अधिकारी के रूप में कार्य किया। आगे चलकर उसके यही उपदेश कन्फूसियस सम्प्रदाय में परिवर्तित हो गए। उसको इस सम्प्रदाय का सबसे बड़ा प्रवर्तक माना गया किन्तु अन्य कई उपदेशकों एव...