प्राचीन यूनान में दासप्रथा
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प्राचीन यूनान में दासप्रथा के महत्वपूर्ण लक्षणों की चर्चा कीजिए।
परिचय:- प्राचीन यूनान पहली सभ्यता थी जहां उत्पादन के सभी क्षेत्रों में गुलामों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया। वर्ग-विभाजन, अधिशेष का उत्पादन, राज्य का निर्माण और युद्ध ने गुलामी के लिए स्थितियां तैयार कर दी थी। गुलामों का पहला जत्था युद्ध बंदियों से तैयार हुआ। कर्ज अदा नहीं करने के कारण गुलाम बनाए गए लोग भी इनमें शामिल थे। बाहरी लोगों को गुलाम बनाना ज्यादा आसान होता था क्योंकि समुदाय से उनका कोई रिश्ता नहीं था और ना ही उनकी कोई हैसियत थी। इसलिए उनका बेरहमी से शोषण किया जा सकता था। गुलामों का इस्तेमाल हर क्षेत्र में किया जाता था। इन गुलामों में महिलाएं भी शामिल थी। महिला गुलामों का इस्तेमाल खासकर महलों के कामकाज में किया जाता था। गुलामों से नियमित प्रशासनिक कामकाज भी कराए जाते थे। गुलाम पुलिसकर्मी और जेलकर्मी के रूप में तैनात किए जाते थे।
इतिहासकार गेर्डा लर्नर ने अपनी पुस्तक "दी क्रिएशन ऑफ पैट्रियारकी" में कहां की पितृसत्तात्मक समाज गुलामी के लिए महत्वपूर्ण पूर्व शर्त थी। वह कहती है कि पितृसत्तात्मक समाज गुलामी से पहले वजूद में आया। मानव ने पहले लैंगिक संबंधों में गैरबराबरी स्थापित कर समाज में गैरबराबरी की शुरुआत की।
यूनान में युद्ध में हारने पर व्यस्त पुरुषों की हत्या कर देने का और महिलाओं तथा बच्चों को बंदी बनाने का चलन था। पुरुषों को गुलाम तभी बनाया जा सका जब समाज के पास पर्याप्त संख्या में सैनिक थे। विद्वानों ने माना है कि विभिन्न समुदायों के पुरुषों को गुलाम बनाना दो कारणों से कठिन था। पहला उन पुरुषों में से अनेक युद्ध कला में माहिर थे जिसके कारण उन्हें स्थाई रूप से बंदी बनाकर रखने के लिए पर्याप्त सैनिक बल की जरूरत थी। दूसरा महिला गुलामों को उन पर कब्जा करने वाले समुदाय के साथ नया संबंध बनाने के लिए बाध्य करना पड़ता था। इन्हें खासकर बच्चा पैदा करने के लिए बाध्य किया जाता था।
यूनान में माइसीनी समाज में गुलाम महिलाएं महलों में काम करने वाले श्रमिकों में शामिल थी। होमर की कृति इलियड और ओडिसी में युद्ध के दौरान गुलाम बनाई गई महिलाओं का उल्लेख मिलता है। महिलाओं को घरेलू कामकाज और वस्त्र निर्माण में लगाया जाता था। यूनान में गुलाम हर क्षेत्र में दिखाई देते थे। कृषि क्षेत्र में गुलाम भारी संख्या में थे। उत्खनन और दस्तकारी दो अन्य ऐसे क्षेत्र थे जिनमें गुलाम श्रम की महत्वपूर्ण भूमिका थी। यूनानीयों ने अपने से पहले की सभ्यताओं के मुकाबले कृषि में गुलामों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया।
स्पार्टा ने लैकोनिया और मेसेनिया को पराजित कर दोनों क्षेत्रों की समूची आबादी को गुलाम में बदल दिया था। इन्होंने एक अनोखी तरह की गुलामी का तरीका शुरू किया जिसे "हिलट प्रथा" कहते हैं। हिलट राज्य की संपत्ति होते थे। इन दोनों क्षेत्रों के नागरिक हिलट के रूप में स्पार्टा के नागरिकों की सामूहिक संपत्ति बन गए। इन्हें स्पार्टा वासियों का काम करने के लिए बाध्य किया गया।
इन दोनों क्षेत्रों के नागरिक खेतों में काम करते, बकरियों के झुंड की देखरेख करते और घरेलू काम करते थे। स्पार्टा ने इनके खेत ले लिए थे और उन्हें टुकड़ों में बांट दिया था जो क्लेरोइ कहलाते थे। इन्हें स्पार्टा के परिवारों को आवंटित किया गया था। इनमें हिलटो के श्रम से खेती की जाती थी।
राज्य ने जरूरत के हिसाब से हर एक परिवार को कुछ खास संख्या में गुलाम दे दिए। कुलीन वर्ग को सबसे बड़ा हिस्सा मिला। अन्य गुलामी से यह गुलामी भिन्न थी क्योंकि यह गुलाम निजी मिलकियत नहीं थे। साथ ही इन्हें परिवारिक संबंध बनाने की इजाजत थी। गुलाम परिवारों में पैदा हुए बच्चों की हैसियत भी अपने माता पिता जैसी होती थी। इसका मतलब यह हुआ कि एक लंबे समय तक स्पार्टा गुलाम श्रम की अपनी जरूरत लैकोनिया और मेसेनिया से पूरा करने में सक्षम था। स्पार्टा में गुलाम संख्या में नागरिकों से बहुत ज्यादा थे। स्पार्टा के नागरिकों के कठोर सैनिक प्रशिक्षण ने उन्हें सैनिक नियंत्रण में बनाए रखा। इस तरह के सैन्य बल की मदद से स्पार्टावासी इन दोनों क्षेत्रों को कई पुश्तों तक गुलामी में जकड़ कर रख सके।
यूनान में अन्य जगहों पर निजी मिल्कियत वाले गुलाम यूनानी समाज एवं अर्थव्यवस्था की विशेषता बन गए। ऐसे गुलामों के लिए अनेक शब्द इस्तेमाल होते थे जिनमें डोउलोस सर्वाधिक प्रचलित था। पूर्व भूमध्यसागरीय क्षेत्र में गुलामों का एक फलता फूलता व्यापार मौजूद था। पुरातन काल में एथेंस में गुलामों की संख्या में इजाफा हुआ।
594 ई• पू• में सोलन ने ऋण दास्ता खत्म कर दीया। ऋण दासता का खात्मा कुलीन वर्ग के खिलाफ एथेनियाई किसानों की एक प्रमुख मांग थी। अब इस समुदाय के किसी व्यक्ति को गुलामी करने के लिए बाध्य करना संभव नहीं था। इससे बड़े जमीदारों को मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ा। अब यह अपने खतो पर काम करने के लिए बाहर से गुलामों का आयात करने लगे। सलोन के सुधारो के कारण किसानों में स्थिरता आने के बाद आंतरिक स्रोत से श्रमिक जुटाना और कठिन हो गया। इसलिए बाहर से गुलाम लाने का रुझान बढ़ा। पुरातन काल तक गुलामों के संबंध में कानूनी प्रावधान तैयार हो चुके थे। गुलामों को साफ तौर पर संपत्ति का एक रूप माना जाने लगा।
फारस युद्ध के बाद गुलाम श्रम की जरूरत कई गुना बढ़ी, जब कुलीन वर्ग को एथेनिया साम्राज्य के विभिन्न हिस्सों में जमीने मिली। युद्ध, समुद्री डकैती और कबीलाई समुदाय के लोगों पर हमलो से गुलामों का व्यापार फला फूला। पुरातन काल में यूनान में ज्यादातर गुलाम यूनानी थे जबकि क्लासिक काल में ज्यादातर गुलाम गैर-यूनानी थे। दक्षिण रूस, काला सागर, मध्य यूरोप, सीरिया और इटली मुख्य क्षेत्र थे जहां से गुलाम पकड़े जाते थे। गैर यूनानी होने के कारण गुलाम बाहरी होते थे, इससे गुलामों के बीच आपसी संबंध बनाना मुश्किल था।
गुलामी ने ही एथेंस के शासकों को सांस्कृतिक क्रियाकलापों के लिए पर्याप्त संसाधन मुहैया करवाएं। इतिहासकारों ने पांचवीं सदी ई• पू• के दौरान एथेनिया गुलामों की संख्या 60,000 से 1,10,000 के बीच आंकी है। अनुमान लगाया गया है कि इनमें से करीब 20,000 से 30,000 गुलाम चांदी की खानों में काम करते थे। गुलामों की सहायता से इन खानों से निकाली गई चांदी ने एथेंस का आर्थिक प्रभुत्व स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई।
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टिप्पणियाँ
Nice vedio...thnx
जवाब देंहटाएंWelcome dost
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