अमेरिका की क्रांति का विस्तार से वर्णन
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प्रश्न:- अमेरिका की क्रांति का विस्तार से वर्णन कीजिए।
परिचय:- अमेरिकी क्रांति उपनिवेशों तथा ग्रेट ब्रिटेन में नई विचारधाराओं के विकास के कारण हुई थी। ब्रिटिश सरकार ने अमेरिका में अपने कुछ उपनिवेश स्थापित कर लिए थे। अमेरिका ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत अधीनता की स्थिति स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। दूसरी ओर 1763 के बाद से ब्रिटिश सरकारों ने ऐसी नीतियां अपनाई जिनका लक्ष्य उपनिवेशों पर पहले की अपेक्षा अधिक कड़ा नियंत्रण स्थापित करना था। 18 वीं सदी के मध्यकाल में उपनिवेशों ने जो उन्नति की थी उसने अमेरिका के मन में आत्मविश्वास की भावना पैदा की। अनेक अमेरिकी यह समझने लगे कि वह अपनी जीवन शैली का विकास कर सकते हैं और अपनी नियति का स्वयं संचालन कर सकते हैं। शुरुआत में अमेरिका ब्रिटेन के साथ राजनीतिक संबंध समाप्त करना नहीं चाहते थे। वे ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत बने रहना चाहते थे। लेकिन "बेंजामिन फ्रैंकलिन" जैसे कुछ लोग स्वशासन का स्वप्न देखने लगे।
कुछ महत्वाकांक्षी लोग इस नई भावना से प्रभावित होने लगे। जैसे दक्षिण उपनिवेशों के बागान मालिक ब्रिटिश व्यापारियों के ऋण से छुटकारा पाना चाहते थे। उत्तरी उपनिवेशों के व्यापारी समझते थे कि ब्रिटिश सरकार के कानून के कारण वे व्यापार में तरक्की नहीं कर पा रहे हैं। इस बीच शहरों के कारीगर और किसान अधिक आर्थिक अवसरों और राजनीतिक अधिकारों की मांग करने लगे। वे उपनिवेशों के सत्तारूढ़ वर्गों के विशेष अधिकारों का अंत करना और अधिक आर्थिक तथा राजनीतिक लोकतंत्र की स्थापना करना चाहते थे।
उपनिवेशों पर ब्रिटिश सरकार अपना शिकंजा मजबूत करना चाहती थी किंतु अमरिकी व्यापारी सरकार द्वारा आरोपित प्रतिबंधों का उल्लंघन करते थे और शत्रुओं के साथ चोरी-छिपे व्यापार करते थे। इस तस्करी को रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने अपने सीमा शुल्क अधिकारियों को खोज- वारंट प्रदान किया। इन वारंटो के आधार पर सीमा शुल्क अधिकारी जहाजों तथा गोदामों की तलाशी ले सकते थे। अमेरिकियों ने इसका विरोध किया। बोस्टन के वकील जेम्स ओटिस ने इस वारंट को गैरकानूनी बताया।
अपालेशियन पर्वतवाला के पार जिन क्षेत्रों से ब्रिटिश ने फ्रांसीसीयों को खदेड़ा था, वहां 1763 में ब्रिटिश सरकार ने एक बयान जारी किया जिसके द्वारा कोई भी उन क्षेत्र में बस्ती नहीं बसा सकता था। अधिकारियों ने मूलनिवासियों के साथ कई संधियां की जिसमें तय हुआ कि इस इलाके में गोरे लोगों की बस्तियां बसाई जाएगीं। अमेरिकियों को ब्रिटिश सरकार का यह रवैया अच्छा नहीं लगा। 1774 में ब्रिटिश सरकार ने "क्यूबेक एक्ट" पास किया। इस एक्ट के अनुसार ओहियो खाड़ी के उत्तर की सारी जमीन क्यूबेक प्रांत में शामिल कर ली गई और अमेरिकियों का उस पर कोई अधिकार नहीं रहा।
1763 में ब्रिटिश सरकार ने उत्तर अमेरिका में 10,000 सैनिक रखने का निर्णय लिया। यह सेना मूलनिवासियों के हमले से उपनिवेशों की रक्षा करती थी। चूंकि यह सेना उपनिवेशों की रक्षा के लिए तैनात की गई थी, इसलिए ब्रिटिश सरकार ने फैसला किया कि इसके रख-रखाव का खर्च उपनिवेशवासी दें। उस समय ब्रिटेन का प्रधानमंत्री जॉर्ज ग्रैनविल था।
अमेरिकी व्यापारियों ने 1773 के शीरा एक्ट का लगातार उल्लंघन किया। इस एक्ट के अनुसार फ्रांस स्पेन और वेस्टइंडीज से जो शीरा खरीदा जाता उस पर प्रति गैलन 6 पैसे का शुल्क देना पड़ता था। इस एक्ट का उद्देश्य अमेरिकी व्यापारियों को इस बात के लिए विवश करना था कि वे ब्रिटिश बागान मालिकों से ही शीरा खरीदें। फ्रांस और स्पेन से व्यापार करना अमेरिकी व्यापारियों के लिए काफी लाभदायक था।
1764 में ग्रेनविल ने शुगर एक्ट पास किया। इस एक्ट के फलस्वरुप विदेशी शीरे पर शुल्क छह पैसे से घटाकर तीन पैसे कर दिया गया। लेकिन कुछ और आयातों पर शुल्क लगाए गए। 1765 में स्टैंप एक्ट पास हुआ। इस एक्ट के अनुसार समाचार पत्रों तथा कानूनी और व्यापारिक दस्तावेजों पर शुल्क देना अनिवार्य हो गया। इस एक्ट का उद्देश्य अमेरिका में नियुक्त की गई सेना पर होने वाले खर्च का भुगतान वसूल करना था। जब स्टैंप एक्ट का समाचार उपनिवेश में पहुंचा तो सभी अमेरिकी नाराज हो गए। उनकी राय में अमेरिका में ब्रिटिश फौज का रखना जरूरी नहीं था। अमेरिकियों की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब थी और इससे और बिगड़ गई।
विरोध का स्वर सबसे पहले वर्जीनिया में उठा। अनेक उपनिवेशों के विधान मंडलों ने इन कानूनों के विरुद्ध प्रस्ताव पास किया। नौ उपनिवेशों के प्रतिनिधियों ने अक्टूबर 1765 में न्यूयॉर्क में एक सभा की और एक सामूहिक विरोध-पत्र तैयार किया। अधिकारियों के लिए शुल्क एकत्रित करना मुश्किल हो गया। बोस्टन में जनता ने मुख्य न्यायाधीश थॉमस हचिंसन के बंगले को आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों ने अपने आपको "स्वतंत्रता का पुत्र" कहा।
अमेरिकियों ने स्टैंप एक्ट के विरोध में ब्रिटिश सामान का आयात बंद कर दिया। ब्रिटिश व्यापारियों को भारी नुकसान पहुंचा और उन्होंने सरकार से झुक जाने की प्रार्थना की। इस बीच ग्रेनविल की जगह मार्क्विस ऑफ रॉकिंघम इंग्लैंड का प्रधानमंत्री बना। 1766 में रॉकिंघम ने स्टैंप एक्ट समाप्त कर दिया और शीरा का शुल्क घटाकर एक पेनी कर दिया। एक और अधिनियम लागू किया जिसमें उपनिवेशों के ऊपर संसद की सर्वोच्च सत्ता की पुष्टि की गई। इसके बाद प्रधानमंत्री अर्ल ऑफ चैथम बने, जिसके वित्तमंत्री टाउनशेंड ने उपनिवेशों की आयातों पर अनेक शुल्क लगा दिए। उन्होंने साथ में न्यूयॉर्क के विधान मंडल को भी स्थगित कर दिया।
उपनिवेशों ने ब्रिटिश सामान का आयात बंद करने का आपस में करार किया। 1768 में ब्रिटिश सेना के दो रेजिमेंट तस्करी रोकने के लिए बोस्टन में तैनात की गई। क्रांतिकारियों ने लोगों को इन सैनिकों के विरुद्ध भड़काया। 5 मार्च 1770 को सैनिकों ने भीड़ पर गोली चला दी जिसमें चार- पांच व्यक्ति मारे गए। गवर्नर ने शांति से काम लिया और सैनिकों को शहर से हटा लिया और शुल्को को भी रद्द कर दिया गया।
अमेरिका के नेताओं ने समझ लिया था कि अमेरिका की बुनियादी समस्या हल नहीं हुई थी। इन नेताओं ने आगे के संकट का सामना करने की तैयारी शुरू कर दी। सैम ऐडम्स जो एक अमेरिकी नेता थे, ने अपने भाषण में ब्रिटिश सरकार और मैनचेस्टस के गवर्नर पर आरोप लगाया कि वे अमेरिकियों की स्वतंत्रता पर आघात कर रहे हैं। 1772 में ऐडम्स और उसके सहयोगियों ने मैनचेस्टस में आंदोलन करने के लिए समितियां स्थापित की। अन्य उपनिवेशों के नेताओं ने भी अपने-अपने यहां इसी तरह के संगठन स्थापित किए। इस प्रक्रिया में उपनिवेश राजनीतिक संगठन का आकार ग्रहण करने लगे।
1772 में ब्रिटिश सरकार ने एक और भयंकर भूल की। ईस्ट इंडिया कंपनी आर्थिक संकट में थी। कंपनी के पास फालतू चाय बड़ी मात्रा में बची थी। लॉर्ड नॉर्थ ने ईस्ट इंडिया कंपनी को अमेरिकी उपनिवेश में मध्यस्थों के बिना ही चाय का सीधा निर्यात करने के विशेषाधिकार दिलाएं। अमेरिकियों ने ईस्ट इंडिया कंपनी की चाय का परित्याग किया और चाय को जहाजों पर से नहीं उतरने दिया।
बदले में ब्रिटिश सरकार ने 1744 में कुछ अधिनियम पास किए। जिसके अनुसार बोस्टन बंदरगाह को बंद कर दिया गया और क्यूबेक एक्ट को दोबारा पास कर दिया गया। अमेरिकियों ने विधानमंडल की सभा बुलाई। जिसमें महाद्वीपय कांग्रेस के दो गुट बट गए। एक तरफ क्रांतिकारी का दल था जो अब ब्रिटिश सरकार से मुकाबला करना चाहते थे। दूसरा दल ब्रिटिश सरकार से कुछ समझोता करना चाहता था। कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पास किया जिसमें अमेरिकियों को ब्रिटिश अधिनियमों का पालन करने से मना कर दिया। अमेरिकियों ने जॉन हैनकॉक के नेतृत्व में एक सुरक्षा समिति बनाई। इस समिति से कहा गया कि वह ब्रिटिश सैनिकों का मुकाबला करने की तैयारी करें।
क्रांतिकारियों ने कनकर्ड में ब्रिटिश सैनिकों का मुकाबला करने के लिए गोला बारूद जमा कर लिया था। ब्रिटिश सरकार ने बोस्टन से सेना भेजकर इन गोला बारूद को नष्ट कर दिया। जब यह सेना वापस लौट रही थी तब अमेरिकी सेना ने उस पर पीछे से हमला किया और 200 सैनिकों को मार डाला। इसके बाद 20,000 अमेरिकी कैंब्रिज में एकत्रित हो गए और ब्रिटिश सेना बोस्टन में चारों ओर से घिर गई।
1766 में फिलाडेल्फिया में दूसरी महाद्वीपीय कांग्रस हुई। इसमें कांग्रेस ने युद्ध का संचालन करने और केंद्रीय शासन की जिम्मेदारियां उठाने का वादा किया। 15 जून जॉर्ज वाशिंगटन को अमेरिकी सेना का प्रधान सेनापति नियुक्त किया गया। युद्ध शुरू होते ही उपनिवेशों से अंग्रेजों की सत्ता समाप्त हो गई। उपनिवेशो में एक नया क्रांतिकारी शासन तंत्र अस्तित्व में आया। 1775 में ब्रिटिश सरकार ने घोषणा कर दी कि उपनिवेशों ने विद्रोह कर दिया है। इसका निष्कर्ष निकला कि उपनिवेश आजाद हो गए हैं।
निष्कर्ष:- क्रांतिकारियों द्वारा उठाए गए कदम ने देशवासियों में राष्ट्रवाद की भावना को जन्म दिया। लोगों ने ब्रिटिश सरकार द्वारा थोपे गए अधिनियमों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया। क्रांतिकारी नेताओं के नेतृत्व में लोगों ने सरकार के विरुद्ध गतिविधियों को अंजाम दिया। अमेरिकी व्यापारी दूसरे देशों से स्वतंत्र व्यापार करना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने क्रांतिकारियों का साथ दिया।
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