एंड्रयू जैकसन की नीतियाँ एवं कार्य
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प्रश्न:- एंड्रयू जैकसन की नीतियों एवं कार्यों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
परिचय:- एंड्रयू जैक्सन ने अमेरिकी राजनीति को बहुत समय तक प्रभावित किया। उसने एक चुंबक की भांति अपने मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित किया। जैक्सन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत दक्षिण कैरोलिना की संवैधानिक सभा के सदस्य के रूप में की। लेकिन जैक्सन को राजनीतिक जीवन की अपेक्षा सैनिक जीवन अधिक पसंद था। अत: व स्थानीय सेना में भर्ती हो गया। 1813-14 में उसने क्रिकों को पराजित किया जिससे उसे मेजर जनरल का पद मिल गया। आगे चलकर अंग्रेजी सेना को पराजित करने से उसकी गणना महान विजेताओं में होने लगी। 1821 में उसे फ्लोरिडा का सैनिक गवर्नर बनाया गया, लेकिन उसने शीघ्र ही परित्याग कर दिया। 1823 में वह सीनेट का सदस्य निर्वाचित हुआ, लेकिन 1825 में उसने इससे भी इस्तीफा दे दिया। 1824 में राष्ट्रपति के पद के लिए उन्हें चुनाव में सबसे अधिक मत मिले लेकिन ऐडम्स और किले की साजिश के कारण कांग्रेस में उन्हे विजय नहीं मिल पाई। 1828 में जॉन क्विंसी ऐडम्स को पराजित कर वह राष्ट्रपति बने।
अपने उद्घाटन भाषण में जैक्सन ने घोषणा की थी कि संघीय प्रशासन में अनेक वृद्ध और अयोग्य अधिकारी है जिनको अनिवार्य रूप से सेवा निष्कासित किया जाएगा और इस प्रकार प्रशासन का शुद्धिकरण होगा। तुरंत सभी सरकारी विभागों और मंडलों से अधिकारियों को हटाया जाना प्रारंभ हो गया। बिना पूर्व सूचना दिए और बिना कोई कारण बताए अधिकारियों को हटाया गया। नई नियुक्तियां की गई और उन्हीं लोगों को लिया गया जिन्होंने चुनाव प्रचार में जैकसन का समर्थन किया था। दस हजार संघीय कर्मचारियों में से लगभग 900 को हटा दिया गया।
जैक्सन का मानना था कि पदाधिकारियों के बदलते रहने से नागरिकों की स्वतंत्रता सुरक्षित रहती है और प्रजातंत्र का मूल सिद्धांत बना रहता है। अधिकांश सरकारी पद इतने सरल होते हैं कि कोई भी बुद्धिशील नागरिक उनके योग्य माना जा सकता है। अनुभवी व्यक्तियों को इन पदों पर बनाए रखने की अपेक्षा जनता का योगदान बनाए रखना ज्यादा लाभदायक है। जैक्सन ने अपने मंत्रिमंडल में अधिकतर द्वितीय श्रेणी के राजनीतिज्ञ सम्मिलित किए। वह अपना सारा काम अपने सलाहकारों या मित्रों की सलाह से करता था। इन सलाहकारों के समूह को "किचन केबिनेट" कहा जाने लगा।
दल-राजनीति की शुरुआत:- जैक्सन के शासनकाल में राष्ट्रीय स्तर पर दल-विहीन राजनीति की प्रथा समाप्त हो गई। उसका विचार था कि राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक दल होना चाहिए। इसके द्वारा ही जनता सरकारी नीतियों पर प्रभाव डाल सकती है। वह अपने कार्यक्रम द्वारा जनता को यह अवसर देना चाहता था जिससे जनता प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में भाग ले सकें और प्रभावशाली बन सके। इसलिए उसने कई सुझाव तो स्वयं प्रस्तुत किए और कई सुझावों का समर्थन किया। उदाहरण के लिए उसने इस प्रकार के संशोधन का समर्थन किया जिसका लक्ष्य राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करना था। सीनेटरो के प्रत्येक चुनाव का भी प्रस्ताव रखा गया। इसमें संदेह नहीं कि उपर्युक्त सभी सुधार लोकप्रिय नहीं हो सके, लेकिन जैकसन के नेतृत्व में राष्ट्र में ऐसा वातावरण बना जिससे दल राजनीति की शुरुआत हुई।
जैक्सन के पूर्व राष्ट्रपतियों ने केंद्रीय सरकार को मजबूत बनाने पर ध्यान दिया था। किंतु जैक्सन का विचार भिन्न था। वह आम व्यक्तियों और राज्यों के अधिकारों का समर्थक था। वह विकास-कार्यक्रमों का संपादन राज्य द्वारा चाहता था। इस बात का प्रमाण यह है कि उसने राष्ट्रीय बैंक से सरकारी धन निकलवा कर इसे राज्यों के बैंकों में जमा करवाया।
संयुक्त राज्य बैंकों का विनाश:- जैक्सन का विचार था कि संयुक्त राज्य बैंक आम जनता के हितों की रक्षा करने में विफल रहा है। 1831 में जब कांग्रेस ने इस बैंक का कार्यकाल आगामी 10 वर्षों के लिए बढ़ाने का विधेयक पारित कर दिया तो जैकसन ने इस पर विशेषाधिकार लगा दिया। उसका तर्क था कि बैंक आम जनता के हितों की उपेक्षा करता है। उसने आरोप लगाया "संयुक्त राज्य बैंक ने संपन्न और शक्तिशाली लोगों को इस लायक बनाने में मदद की है कि वे सरकारी कोष का मनमाना उपयोग करें तथा समाज के छोटे लोगों, जैसे किसानों, मकैनिकों और मजदूरों की आवश्यकताओं की उपेक्षा की गई है। 1832 में जैक्सन चुनाव में दूसरी बार जीता। इस बार उसने संयुक्त राज्य बैंक को बंद कर दिया।
संघ की रक्षा:- जैकसन की एक अन्य उपलब्धि संघ की रक्षा है। उसके शासनकाल में पहली बार संघ के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा हो गया। 1828 में ऊन-निर्माताओं और भेड़ पालने वालों की सहायता के लिए जो सीमा-शुल्क अधिनियम पारित किया गया था, उसका दक्षिण कैरोलिना ने बड़ा विरोध किया था। कपास पैदा करने वाले दक्षिण कैरोलिना और दक्षिण के कुछ अन्य राज्य इस कानून को अत्याचार और अन्यायपूर्ण मानते थे।
जैक्सन ने इस अधिनियम के कुछ अनुच्छेदों में संशोधन कर इन राज्यों के असंतोष को दूर करने का प्रयास किया। दक्षिण कैरोलिना इन रियासतों से संतुष्ट नहीं था और उसने 1832 में आकृतिकरण अध्यादेश पारित कर दिया। परिणामस्वरूप 1828 और 1832 के पारित किए गए सीमा-शुल्क अधिनियमों को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया तथा 1 फरवरी 1833 से करों की वसूली रोक दी गई। जैक्सन ने इसकी निंदा की और दावा किया कि इस मामले में संघीय सरकार के अधिनियम को रद्द करने का हक राज्य सरकार को नहीं है। दक्षिण कैरोलिना राज्य से बलपूर्वक इस कानून का पालन करवाने के लिए, जनवरी 1833 में जैक्सन ने बल विधेयक पारित करा लिया। इस विधेयक ने राष्ट्रपति को अधिकार दे दिया कि करों की वसूली के लिए वह नौसेना व रक्षा-सेना का उपयोग कर सकता है। इस प्रकार जैक्सन ने राज्यों की संघ के पृथक होने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया।
राष्ट्रपति पद की गरिमा:- जैकसन कांग्रेस के अत्याचारों का विरोधी था। उसने यह जताने की कोशिश की कि कांग्रेस से पृथक उसकी अपनी हैसियत है। इस बात पर बल देकर वह जनता का प्रिय नेता बन गया। उसने कहा कि पहले जो राष्ट्रपति बने थे, वह सिर्फ कांग्रेस के कानूनों का पालन करते थे। क्योंकि कांग्रेस के सदस्य और राष्ट्रपति दोनों ही विशेषाधिकारयुक्त वर्ग थे।
लेकिन जैकसन जनता का आदमी था। अत: कांग्रेस के साथ उसके मधुर संबंध नहीं थे। अपने आठ वर्ष के शासनकाल में जैक्सन में जितने कानूनों पर निशेषाधिकार(Veto) का प्रयोग किया, उतने कानूनों पर उसके पहले वाले सभी राष्ट्रपतियों ने मिलकर भी नहीं किया था। वह पहला राष्ट्रपति था जिसने "पॉकेट निशेषाधिकार" का प्रयोग किया। इस पर उसके आलोचकों ने उस पर सत्ता हथियाने का आरोप लगाया। उसकी नीतियों के फलस्वरुप लोकतांत्रिक दल में फूट पड़ गई। वह अपने कैबिनेट के मंत्रियों और सरकारी पदाधिकारियों का समुचित सम्मान नहीं करता था। कैल्हून से मतभेद होने पर उसने मंत्रिमंडल से कैल्हून के सभी समर्थकों को निकाल बाहर किया। फलत: गणतांत्रिक दल में फूट पड़ गई।
इंडियनों का मामला:- जैकसन ने इंडियनो के प्रति कठोर रवैया अपनाया। उन्हें मिसीसिपी घाटी से उस पार जाने के लिए विवश कर दिया। उसने 8 वर्ष के शासनकाल के दौरान इंडियनो से 94 संधियां की, जिसके अनुसार इंडियनों के अनेक कबीलों को या तो उनके कानून व रीति-रिवाजों के अधीन राष्ट्र के रूप में मान्यता प्रदान की गई या फिर उनसे कहा गया कि वे उस इलाके में जाकर बस जाए जो उनके लिए निर्धारित किए गए थे। 1836 में जैक्सन ने इंडियनों से संबंधित मामलों के लिए एक विभाग बनाया।
इंडियनों से जो भूमि खाली करवाई गई थी, उनका उन्हें मुआवजा दिया गया। जब कुछ इंडियनों ने विरोध किया तो उनके विरुद्ध सैनिक कार्रवाई की गई।
विदेश नीति:- विदेशी मामलों में भी जैक्सन ने नया दृष्टिकोण अपनाया। उसने इंग्लैंड, फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों के प्रति मैत्रीपूर्ण नीति अपनाने का प्रयास किया। सीमा के प्रश्न पर ब्रिटेन के साथ अनेक विवाद थे, जैक्सन ने ब्रिटेन के प्रति समझौते का रवैया अपनाया। फ्रांस के साथ क्षतिपूर्ति के दावों का प्रश्न 1815 से लटका पड़ा था। जैक्सन ने इसे भी हल कर लिया। 1831 में फ्रांस के साथ एक संधि की जिसमें दोनों देश इस बात पर राजी हो गए कि उन्होंने एक दूसरे देश की प्रजा की जो लूट की है, उसके बदले में क्षतिपूर्ति देंगे। फ्रांस ने क्षतिपूर्ति देने में कुछ देर की। अंत में ब्रिटेन की मध्यस्थता से 1836 में यह मामला तय हो गया। 1836 में जैक्सन ने अमेरिका का एक जहाज समस्त विश्व भ्रमण के लिए भेजा। इससे विश्व में संयुक्त राज्य की प्रतिष्ठा बढ़ गई। सुमात्रा में कुलावलु के सुल्तान के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए जैकसन ने नौ-सेना को आदेश दिया क्योंकि सुल्तान की प्रजा ने अमेरिका के एक व्यापारिक जहाज के चालक की हत्या कर दी थी। जैकसन ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी अभिरुचि दिखलाई।
उसने एडमंड रॉबर्टसन नामक एक व्यापार विशेषज्ञ को श्याम-नरेश और मस्कत के सुल्तान के पास कूटनीतिक वार्ता के लिए भेजा जिसके माध्यम से व्यापारिक संबंध स्थापित किया जा सके। जैक्सन मेक्सिको से टैक्साज का राज्य खरीदना चाहता था। उसने बटलर को मेक्सिको का राजदूत नियुक्त किया। किंतु वह योग्य नहीं था, अत: 1835 मे उसे वापस बुला लिया गया। उसके अधिकारीयों को यह आदेश दिया गया कि वह मैक्सिको की सरकार पर टैक्साज में रहने वाले अमेरिकी नागरिकों के अधिकार के प्रश्न पर बल दे। इसी समय टैक्साज में क्रांति हो गई और जैक्सन तटस्थ रहा।
निष्कर्ष:- उपर्युक्त विवरण से पता चलता है कि संयुक्त राज्य के इतिहास में जैक्सन का एक विशेष स्थान था। उसके युग को प्रजातंत्र के विस्तार का युग कहा जाता है क्योंकि उसने मताधिकार का विस्तार किया, फिलाडेल्फिया और न्यूयॉर्क के मजदूरों की स्थिति में संतोषजनक सुधार लाया, संयुक्त राज्य बैंक का विनाश किया गया, इंडियनों का योजनाबद्ध दमन किया गया और तटकरो कि समस्या का समुचित समाधान किया गया। जैकसन वही कार्य करता था जिसे वह उचित और न्यायसंगत समझता था। वह जनसाधारण के कल्याण के लिए परिश्रम करना अपने जीवन का लक्ष्य समझता था।
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