1917 की रूस की क्रांति का विस्तार से वर्णन
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प्रश्न:- 1917 की रूस की क्रांति का विस्तार से वर्णन कीजिए।
परिचय:- 1917 की रूसी क्रांति बीसवीं सदी की उन महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है जिन्होंने विश्व को किसी न किसी रूप में प्रभावित किया। इसमें सिर्फ राजनीतिक में ही नहीं सामाजिक- सांस्कृतिक और वैचारिक रूप में भी बदलाव की प्रक्रिया शुरू की।1789 की फ्रांसीसी राज्य क्रांति के बाद यह एक महत्वपूर्ण घटना थी। 1917 में रूस में दो क्रांतियां हुई। कुछ इतिहासकारों का विचार है कि एक ही क्रांति दो चरणों में पूर्ण हुई। फरवरी-मार्च में हुई राजनीतिक क्रांति के द्वारा रूस में जारशाही का अंत हुआ और अक्टूबर-नवंबर में हुई सामाजिक क्रांति से सर्वहारा गणतंत्र की स्थापना हुई। 1917 की फरवरी क्रांति से पूर्व 1905 में भी रूस में क्रांति हुई जिसे इतिहासकार अक्टूबर की क्रांति का "ड्रेस रिहर्सल" मानते हैं। 1905 की क्रांति तक रूस में राजनीतिक दल और मजदूर संघ जैसे संस्थाओं का अभाव था। रूस में क्रांति से पूर्व उच्च तथा निम्न वर्ग के बीच अत्यधिक सामाजिक और आर्थिक भिन्नता थी। राज्य के महत्वपूर्ण पदों पर कुलीनों तथा पूंजीपतियों का ही अधिकार था। किसानों की स्थिति दयनीय थी। मजदूरों की स्थिति पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था और निरंतर युद्ध पर किए जाने वाले खर्च से आर्थिक दशा पर असर पड़ रहा था।
क्रांति की शुरुआत:- देश की आर्थिक दुर्दशा के कारण क्रांति को हवा मिली। 9 जनवरी को पेट्रोगार्ड सहित कई शहरों में हड़ताल व प्रदर्शन हुए। 18 फरवरी को पेट्रोगार्ड के कारखानों में हड़ताल शुरू हो गई। क्रांति की शुरुआत रोटी की मांग से हुई। 23 फरवरी 1917 को पेट्रोगार्ड के कपड़े के कारखाने में काम करने वाली स्त्रियों नहीं हड़ताल करना शुरू कर दिया। सड़कों पर "रोटी दो, युद्ध बंद करो, अत्याचारी शासन का नाश करो," जैसे नारे सुनाई देने लगे। 24 फरवरी तक दो लाख मजदूर हड़ताल पर चले गए और 26 फरवरी तक हड़ताल ने विद्रोह का रूप ले लिया। 26 फरवरी पेट्रोगार्ड स्थित बोल्शेविक पार्टी की केंद्रीय समिति ने अपने घोषणा पत्र में जनता से संघर्ष जारी रखने तथा अस्थाई सरकार बनाने की अपील की। इसी समय सेना को जनता पर गोली चलाने के लिए कहा गया लेकिन सेना ने भी विद्रोह कर दिया। इसके बाद सैनिकों एवं मजदूरों के प्रतिनिधियों की सोवियत (परिषद) का गठन किया गया। लोगों की भीड़ ने "श्लसेलबर्ग" के किले पर आक्रमण कर राजनीतिक कैदियों को मुक्त किया और जार के मंत्रियों को बंदी बना लिया। रूस की क्रांति में पेट्रोगार्ड का वही स्थान था जो फ्रांस की क्रांति में पेरिस का था।
अस्थाई सरकार:- क्रांतिकारी परिषद और ड्यूमा के सदस्यों की एक समिति ने मिलकर अस्थाई सरकार का गठन किया, जिसका नेता "प्रिंस ल्वोव" को बनाया गया। दूसरी ओर मजदूर सोवियतो के प्रतिनिधि थे जिनमें मेन्शेविकों का बहुमत था। स्थिति को बिगड़ते देख 2 मार्च 1917 को जार ने अपने भाई माइकल के पक्ष में सिंहासन का परित्याग कर दिया।
अस्थाई सरकार का चरित्र पूर्णता मध्यवर्गीय था और इसका स्पष्ट लक्ष्य एक संवैधानिक सरकार की स्थापना था। यह सरकार युद्ध जारी रखने के पक्ष में थी। पेट्रोगार्ड की सोवियत मजदूरों और सैनिकों का प्रतिनिधित्व करती थी और इस सरकार की प्रतिद्वंदी थी। उच्च और मध्यम वर्ग के लोग अस्थाई सरकार का समर्थन कर रहे थे और मजदूरों पर पुनः औद्योगिक अनुशासन लागू करना चाहते थे। सैनिकों की दृष्टि में क्रांति का प्रमुख लक्ष्य युद्ध की समाप्ति था, पर सरकार युद्ध जारी रखना चाहती थी। सरकार व्यक्तिगत संपत्ति की पक्षधर थी तो मजदूर और सैनिकों की सोवियत का विचार था कि जमीदारों को मुआवजा दिए बिना ही किसानों को भूमि दे दी जाए तथा उद्योगों का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाए। लेकिन भूमि पर जमीदारों का स्वामित्व यथावत बना रहा। श्रमिकों, मजदूरों तथा सैनिक प्रतिनिधियों ने सुदूर गांव में जाकर अस्थाई सरकार के विरोध में प्रचार करना आरंभ कर दिया और युद्ध के विरोध तथा सारी सत्ता सोवियतों को देने के संदर्भ में नारे लगाए।
जगह जगह पर सोवियतें(संगठन) बना दी गई और उन्होंने सरकार से संबंधित कार्य को करना शुरू कर दिया। युद्ध की घोषणा होने पर जनता के दबाव में मिल्यूकोव और गुश्कोव को त्यागपत्र देना पड़ा और करेंस्की को युद्ध मंत्री बनाया गया।
अखिल रूसी सोवियत कांग्रेस:- पेट्रोगार्ड की सोवियत ने अपना एक आज्ञा पत्र 15 मार्च 1917 को घोषित किया, जिसके अनुसार जल व थल सेना उन्हीं कार्यों को करेगी जिन मामलों में अस्थाई सरकार और सोवियत के विचार आपस में न टकराते हो। अस्थाई सरकार द्वारा विरोध करने पर जून 1917 में पेट्रोगार्ड सोवियत ने अखिल रूसी सोवियत कांग्रेस का अधिवेशन बुलाया जिसमें क्रांतिकारी समाजवादी, मेन्शेविक और बोल्शेविक दल के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। इस कांग्रेस ने घोषित किया कि केवल राजनीतिक क्रांति से काम नहीं चलेगा, सामाजिक एवं आर्थिक क्रांति भी जरूरी है। सम्मेलन में 300 सदस्यों की अखिल रूसी सोवियत कार्यकारिणी समिति एवं 20 सदस्यों की एक प्रेसीडियम बनाई गई। किंतु वास्तविक शक्ति प्रेसीडियम को दी गई, जिसमें क्रांतिकारी समाजवादी तथा मेन्शेविक दल के सदस्य शामिल थे। बोल्शेविको ने इसका विरोध किया। बोल्शेविको को राजधानी के मजदूरों और अधिकतर सैनिकों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन प्रांतों में मेन्शेविको का प्रभुत्व अधिक था।
लेनिन और ट्राटस्की का विश्वास था कि प्रांतों में भी बोल्शेविको को शीघ्र ही बहुमत प्राप्त हो जाएगा। 16 जुलाई को क्रांतिकारी सैनिकों, नौसैनिकों और लोगों की भीड़ ने बोल्शेविको के साथ मिलकर प्रदर्शन किए। सरकार ने दमन नीति अपनाई। बोल्शेविक आंदोलन को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया और उसके नेता गिरफ्तार कर लिए गए, इनमें ट्राटस्की भी था। लनिन को रूस छोड़कर भागना पड़ा। 20 जुलाई को राजकुमार ल्वोव ने त्यागपत्र दे दिया और समाजवादी क्रांतिकारियों के नेता करेंस्की ने अपना मंत्रिमंडल बनाया। बोल्शेविक संतुष्ट नहीं थे और मेन्शेविक भी मंत्रिमंडल से अलग हो गए।
जनरल कोर्निलोव:- 12 अगस्त को मास्को में अस्थाई सरकार के राज्य सम्मेलन में जनरल कोर्निलोव ने क्रांति का दमन करने की योजना बनाई। लाल रक्षक दल के प्रभाव से कोर्निलोव के सैनिकों ने उसके आदेशों को मानने से इंकार कर दिया और शासन पर अधिकार करने और सोवियतो का दमन करने का उसका प्रयत्न विफल हो गया। 30 अगस्त को उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना से जनता में जारशाही के लौटने की संभावना का भय उत्पन्न होने लगा और इसके परिणामस्वरूप बोल्शेविको का प्रभाव बढ़ने लगा। मेन्शेविको और समाजवादी क्रांतिकारियों के मंत्रियों ने संघ सरकार से अपना त्यागपत्र दे दिया। 1 महीने तक किसी नियमित सरकार की स्थापना नहीं की गई। 1 सितंबर को करेंस्की ने एक कार्यकारिणी समिति की स्थापना की।
31 अगस्त को बोल्शेविको को पहली बार पेट्रोगार्ड सोवियत से बहुमत मिला। ट्राटस्की के जेल से बाहर आने के बाद उसे सोवियत का अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद बोल्शेविको को मास्को कि सोवियत और फिर अधिकतर प्रांतीय सोवियत में बहुमत मिली। 7 अक्टूबर को लनिन फिर से पेट्रोगार्ड आ गए। योजना को कार्यान्वित करने के लिए ट्राटस्की ने पेट्रोगार्ड सोवियत की "सैनिक क्रांतिकारी समिति" नियुक्त की।
अस्थाई सरकार द्वारा युद्ध के मोर्चे से सेना पेट्रोगार्ड बुला ली गई। 23 अक्टूबर 1917 को करेंस्की ने सभी बोल्शेविक अखबारों को जप्त करने तथा जमानत पर छोड़े गए बोलशेविक नेताओं को बंदी बनाने का आदेश जारी किया। उसके द्वारा भेजी गई हथियारबंद गाड़ियों को स्टालिन और उसके लाल रक्षक दस्ते ने खदेड़ दिया। 24 अक्टूबर की रात को लेनिन स्मोल्नी आकर क्रांति के संचालन का कार्य संभाला। 25 अक्टूबर लाल रक्षकों और क्रांतिकारी सैनिकों ने विंटर पैलेस, टेलीफोन केंद्र, पोस्ट ऑफिस, रेलवे स्टेशनों, राष्ट्रीय बैंक, बिजली पर अधिकार कर लिया। विंटर पैलेस में शरण ली हुई अस्थाई सरकार को गिरफ्तार कर लिया गया। 25 अक्टूबर को करेंस्की राजधानी छोड़कर भाग गया। अस्थाई सरकार के सभी मंत्री को बंदी बना लिया गया और घोषणा की गई कि अस्थाई सरकार को समाप्त कर दिया गया है और उसके स्थान पर सर्वहारा वर्ग की क्रांतिकारी समिति तथा पेट्रोगार्ड ने सत्ता ग्रहण कर ली है।
मजदूर और सैनिक प्रतिनिधियों की कांग्रेस ने रूस को सोवियत समाजवादी जनतंत्र घोषित किया। अक्टूबर 1917 से फरवरी 1918 तक अधिकांश राज्यों की सत्ता सोवियतों के हाथों में आ गई। लेनिन की अध्यक्षता में सोवियत मंत्रिमंडल का निर्वाचन हुआ। 25 अक्टूबर 1917 को सोवियतों की दूसरी अखिल रूसी कांग्रेस की बैठक में बोल्शेविको को भारी बहुमत मिली।
"लियोपोल्ड एच. हेंमसन" के अनुसार युद्ध के आखिरी वर्षों में मजदूर वर्ग ने अपने आप को उदारवादी बुद्धिजीवी वर्ग से अलग कर लिया और वे बड़े पैमाने पर बोल्शेविको में शामिल होने लगे। आर्थिक हड़तालों में असफलता ने मजदूरों को क्रांतिकारी बना दिया और यह वर्ग शासन और उद्योगों के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ। "एलाॅन.के.वाइल्डमैन" के अनुसार सेना प्रोविंशियल सरकार को राष्ट्रीय संस्था न मानकर एक वर्ग के रूप में देखती थी। अखिल सैन्य कांग्रेस सोवियत नियंत्रण के समर्थन में आ खड़ी हुई। "रोजनबर्ग" के अनुसार घटना और परिस्थितियों ने राज्य के विरुद्ध क्रांति की स्थिति पैदा की न कि राजनीतिक दर्शन ने जो बुर्जुआ वर्ग के हित की रक्षा कर रही थी।
निष्कर्ष:- रूस की क्रांति ने आधुनिक इतिहास में सर्वाधिक संगठित क्रांतिकारी आंदोलन का सूत्रपात किया। समाजवादी सिद्धांतों के आधार पर राज्य में नीति-निर्धारण किया गया जो इस क्रांति की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी। इसके सिद्धांत से ही मजदूरों और किसानों की सोवियत को बढ़ावा मिला और इनके संगठन ने क्रांति का रूप धारण किया। प्रतिनिधित्व प्रदान करने में बोल्शेविको की महत्वपूर्ण भूमिका रही जिसने राजनीतिक अराजकता का लाभ उठाया। लनिन ने योजना के तहत क्रांति की गतिविधियों को कार्यान्वित किया।
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टिप्पणियाँ
फरवरी 1917 जार के निरंकुश शासन के पतन के क्या कारण थे?
जवाब देंहटाएंEs topic pr material hai to send kr dijiye... please 🙏
Okk....
हटाएंSir...apne okk bola but abhi tak aapne material send nhi kiya
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