नाजीवाद की राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक विशेषताएं
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प्रश्न:- नाजीवाद की राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
परिचय:- 30 जनवरी 1933 को एडोल्फ हिटलर को जर्मनी का चांसलर नियुक्त किया गया। हिटलर का चांसलर नियुक्त होना एक संवैधानिक कार्य था। उसको संवैधानिक और कानूनी तरीके से चांसलर के पद पर नियुक्त किया गया। चांसलर की पदवी संभालने के बाद तेजी से हिटलर ने सत्ता अपने हाथ में केंद्रित कर ली। अगस्त 1934 में हिंडनबर्ग की मृत्यु के बाद उसने राष्ट्रपति और चांसलर की पदवी एक कर ली और खुद को "फयूरर" कहलवाया। बहुत तेजी के साथ हिटलर और उसके साथियों ने कुछ ऐसे कदम उठाए और कुछ ऐसी नीतियां लागू की कि जर्मनी में प्रजातंत्र अधिनायकवाद में परिवर्तित हो गया। हिटलर ने अपने समस्त विरोधियों को कुचलना आरंभ कर दिया। यहूदियों पर हिटलर ने अत्यधिक अत्याचार किए। नागरिक स्वतंत्रता छीन ली गई। प्रेस, रेडियो, भाषण, स्कूल एवं विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता समाप्त कर दी गई। समस्त सामाजिक एवं आर्थिक क्रियाकलापों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। विचारों की अभिव्यक्ति पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। जर्मनी के प्रत्येक नगर में गुप्तचरो का जाल बिछाया गया। इन सब गतिविधियों से यहूदी, कैथोलिक एवं साम्यवादियों का पूर्णता दमन किया गया।
राजनीतिक विशेषताएं:- सत्ता में आने के बाद हिटलर ने सबसे पहले 5 मार्च 1933 को चुनावों की घोषणा की। उसे उम्मीद थी कि नाजी पार्टी को आसानी से बहुमत प्राप्त हो जाएगा। यह चुनाव काफी हिंसक सिद्घ हुआ। कम्युनिस्ट पार्टी की चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध लगाए गए तथा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी तथा कैथोलिक सेंटर पार्टी की चुनाव संबंधी रैली भंग कर दी गई। 27 फरवरी को राइखस्टैग(संसद) भवन में आग लगा दी गई। इस घटना के लिए कम्युनिस्ट पार्टी को दोषी ठहराया गया। कम्युनिस्ट नेताओं को हिरासत में लिया गया और जर्मनी में सेना का शासन लागू कर दिया गया।
हिटलर ने राज्य और लोगों की रक्षा के लिए सभी व्यक्तिगत अधिकारों और नागरिक अधिकारों को स्थगित कर दिया। चुनाव में हिटलर की "नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी" को 43.9% अर्थात 228 सीटें मिली। सभी दलों के समर्थन के साथ हिटलर ने राइखस्टैग में अधिकार अधिनियम पारित करवाया। इस अधिनियम द्वारा हिटलर ने राइखस्टैग के अधिकार कम कर दिए। इस प्रकार जर्मन प्रजातंत्र का पतन हो गया। मजदूर संघ को भंग कर दिया गया। उनके स्थान पर "नाजी लेबर फ्रंट" की स्थापना की गई। सभी राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगा दिए गए। जर्मनी में केवल एक ही राजनीतिक दल रह गया और वह था नाजी दल।
1933 के अंत तक हिटलर एक दलीय राज्य का नेता था और राइखस्टैग का प्रत्येक सदस्य नाजी था। किंतु बड़े बड़े व्यवसायियों, सेना, पुराने अमीर वर्ग और राष्ट्रपति की शक्ति पहले की भांति ही बनी रही।
नाजी दल में एक भाग उग्र और पूंजीवाद विरोधी विचार रखता था। सबसे उग्र नाजी अर्नेस्ट रोम था जो(Sturm Abteilung) S.A का नेता था। रोम ने सलाह दी कि सशस्त्र सेनाओं S.A और S.S (Schuiz Stafflen) सभी युद्ध समूहों को नए रक्षा मंत्रालय के तहत समान दर्जा प्रदान किया जाए और उन्हें पीपुल्स आर्मी के रूप में संगठित किया जाए तथा एकाधिकार पर प्रतिबंध लगाया जाए। किंतु 30 जून 1934 को हिटलर ने S.S को आदेश दिया कि वह S.A के नेताओं को चुन चुन कर मारे। उसने रोम को गिरफ्तार करवाया और बाद में उसे गोली मार दी। S.S एक ऐसा दल बन गया जिसने नीचे से उठने वाली आवाजों का निर्माता से दमन किया और लोगों को राज्य के सर्वोच्च नेता के प्रति पूर्ण समर्पण के लिए राजी किया। अगस्त 1934 में हिंडनबर्ग का देहांत हो गया और हिटलर ने राष्ट्रपति का पद भी संभाल लिया। इसके बाद से सभी सैनिकों को फ्यूहरर और चांसलर की शपथ लेनी होती थी। राजनीतिक बदलाव के साथ साथ न्याय व्यवस्था और न्याय संबंधी संस्थाओं में भी बदलाव दिखाई देने लगे।
न्याय के मूल नियमों में परिवर्तन किया गया और नाजी शासन प्रणाली ने आतंक और अवपीड़न की विस्तृत व्यवस्था स्थापित की। सरकार ने कानून व्यवस्था पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया। न्यायाधीश की नियुक्ति उनकी वफादारी के आधार पर होती थी और इस जानकारी के साथ कि वे हमेशा राज्य के हित में कार्य करेंगे। वकीलों के लिए "नाजी लॉयर्स एसोसिएशन" का सदस्य बनना आवश्यक था।
सामाजिक परिवर्तन:- प्रसिद्ध जर्मन समाजशास्त्री Ralf Dahrendorf का मानना है कि नाज़ी शासन के कारण जर्मनी में एक सामाजिक क्रांति आई। जिसने जर्मन समाज पर अभिजात वर्ग के प्रभुत्व को समाप्त कर दिया और आने वाले समय में जर्मनी के आर्थिक औद्योगिक और सामाजिक आधुनिकीकरण का पथ प्रशस्त किया। नाजी पार्टी ने प्रेस, कला, साहित्य, संस्कृति, संगीत और रेडियो सभी पर नियंत्रण लगाया और लोगों की सोचने की शक्ति को नियंत्रित किया। नाजी शासन में प्रचार पर अत्यधिक बल दिया गया। जोसेफ गोबेल्स के नेतृत्व में मार्च 1933 में सरकार द्वारा प्रचार मंत्रालय की स्थापना की गई। इसका मुख्य लक्ष्य था नाजी सिद्धांतों और मान्यताओं से लोगों को एक सूत्रबद्घ करना। समाचार पत्रों पर नियंत्रण स्थापित किया गया। पत्रकारों को राज्य के प्रति उत्तरदाई ठहराया गया न कि संपादकों के प्रति। जर्मनी में केवल एक राष्ट्रीय समाचार पत्र था, जो नाजी पार्टी का था।
समाचार पत्रों के समान रेडियो पर भी नियंत्रण स्थापित किया गया। इसके माध्यम से हिटलर ने आम जर्मन नागरिकों से सीधा संपर्क स्थापित किया। सिनेमा का प्रयोग नाजी प्रचार के लिए किया जाने लगा। समाचार-फिल्मों द्वारा सामाजिक और राजनीतिक घटनाओं के बारे में बताया जाता था। प्रचार मंत्रालय ने सिनेमा के माध्यम से हिटलर को अर्धदेव के रूप में प्रस्तुत किया, जो उत्साही जनता को नेतृत्व प्रदान कर रहा था। कला के क्षेत्र में विभिन्न रचनाएं की गई। जर्मनी में एक नई "आर्य" कला उभरकर आई, जिसने ग्रामीण जीवन, महिला सौंदर्य और सैन्य तथा शारीरिक बल पर जोर दिया।
नाजी शासन का एक मुख्य लक्ष्य लोगों को नाजी विचारों से शिक्षित करना था। समाज पर नाजी विचारों को थोपने के लिए शिक्षा का क्षेत्र अपनाया गया। यहूदियों को सांस्कृतिक जीवन से अलग कर दिया गया। स्कूलों में व्यायाम, प्रशिक्षण पर बल दिया गया। नाजी विचारधारा के अनुकूल पुस्तकें लिखी गई और हिटलर द्वारा लिखी गई "मेन काम्फ" शिक्षा का केंद्र बिंदु बन गई। यहूदियों को अध्यापन से मुक्त कर दिया गया। नस्लवाद के सिद्धांत के तहत यह बताया गया कि आर्य जर्मन सर्वोत्तम है और यहूदी सभी बुराइयों को जन्म देने वाले हैं। नाजी शासन ने युवा लड़के और लड़कियों के भविष्य के लिए उनके प्रशिक्षण पर बल दिया।
लड़कों को सैन्य सेवा और लड़कियों को भविष्य में शादी और मां की भूमिका के लिए तैयार किया गया। जन्म दर को बढ़ाने के लिए विवाह को प्रोत्साहित किया गया। अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई। जो महिलाएं 4,6,8, बच्चों को जन्म देती थी उन्हें कांस्य, रजत और स्वर्ण सम्मान पदक प्रदान दिए गए। मानसिक रूप से विकलांग और शारीरिक रूप से विकृत लोगों और नेत्रहीनों की जबरदस्ती नसबंदी कर दी गई।
महिलाओं को नाजी आदर्शों में शिक्षा देने के लिए संस्थाओं की स्थापना की गई। जिसमें बच्चों की देखरेख पर विशेष बल दिया गया। युवा लड़कियों के लिए "जर्मन गर्ल्स लिग" की स्थापना की गई। इसका लक्ष्य था युवा लड़कियों को एक अच्छी पत्नी और मां बनने का प्रशिक्षण देना। नाजी व्यवस्था के अंतर्गत महिलाओं का शोषण हुआ और उन्हें मात्र वस्तु समझा गया। सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं के साथ भेदभाव किया गया। एक अध्यादेश जारी कर सभी संगठनों में उच्च पदों से महिलाओं को हटाया गया। यह भी कहा गया कि सभी विवाहित महिलाओं को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ेगी। महिलाओं के प्रति नाज़ी शासन का दृष्टिकोण पितृसत्तात्मक था। इसके बावजूद महिलाओं ने बड़ी संख्या में नाजी शासन को अपना समर्थन प्रदान किया। बड़ी संख्या में जर्मन महिलाएं नाजी दल की ओर आकर्षित हुई।
आर्थिक विशेषता:- हिटलर जब सत्ता में आया तब उसके पास कोई आर्थिक नीति नहीं थी। किंतु सत्ता में आने के बाद नाजियों के लिए यह अनिवार्य हो गया कि वह एक आर्थिक नीति अपनाए। इसके साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भविष्य में होने वाले युद्ध के लिए तैयार करने का आर्थिक विचार भी नाजी जर्मनी में लोकप्रिय हुआ।
1933 से 36 की अवधि में बेरोजगारी को कम करने के लिए राज्य ने रोजगार स्थापित करने का प्रयास किया। इस अवधि में आर्थिक नीति का संचालन "Dr.Hjalmer Schacht" द्वारा किया गया। 1933 में इन्हें बैंक का राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। 1934 में उन्होंने "नई योजना" लागू की। इसके अनुसार विदेशी ऋण पर होने वाले ब्याज भुगतान पर रोक लगा दी गई और राज्य की राजनीतिक जरूरतों के आधार पर आयात को नियंत्रित किया गया। साथ साथ जर्मनी ने अपना सारा व्यापार यूरोप में केंद्रित कर लिया और वह अब कच्चे माल का आयात दक्षिण अमेरिका और बाल्कन राज्य से करने लगा। उपभोक्ता वस्तुओं की जगह सैन्य सामग्री के उत्पादन पर अधिक बल दिया जाने लगा। प्रारंभिक प्रयास के कारण जर्मनी की अर्थव्यवस्था दृढ़ हो गई और बेरोजगारों की संख्या में कमी आई। यह इसलिए संभव हो पाया क्योंकि राज्य ने रोजगार को बढ़ावा देने के लिए बहुत सी योजनाएं चलाई, सार्वजनिक निर्माण कार्यक्रम शुरू किया। बड़े-बड़े भवन बनाए गए और जर्मनी में राजमार्गों का निर्माण किया गया।
1936 में चार वर्षीय योजना लागू की गई। इस योजना का लक्ष्य जर्मनी को खाद पदार्थों और कच्चे माल में आत्मनिर्भर करना, आयात को कर्म करना तथा 1940 तक जर्मनी को युद्ध के लिए तैयार करना था। किसानों को खाद उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दिया गया। रबड़, तेल, कपड़ा उद्योग को राज्य द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की गई। किंतु यह चार वर्षीय योजना पूर्ण रूप से जर्मनी को आत्मनिर्भर नहीं बना पाई।
1938 तक जर्मनी महामंदी के प्रभाव से बाहर आ चुका था। राष्ट्रीय आय में 20% बढ़ोतरी हुई। जर्मनी में खाघ खपत में 18% की बढ़ोतरी हुई। कपड़ों की बिक्री में 25% और फर्नीचर तथा घरेलू सामान की बिक्री में 50% बढ़ोतरी हुई। मजदूरों के वेतन में वृद्धि हुई, किंतु उनके काम करने के घंटों में बढ़ोतरी भी की गई। इसके साथ-साथ विशेष संस्थाएं स्थापित की गई, जिन्होंने श्रमिकों के काम करने के घंटे तथा खाली समय दोनों पर ही नियंत्रण स्थापित किया। इसके साथ-साथ यह भी देखने को मिलता है कि जर्मन अर्थव्यवस्था के पुनरुत्थान का मुख्य लाभ समाज के आर्थिक दृष्टिकोण से संपन्न वर्ग को ही मिला। "Bracher" का मानना है कि नाजी ने आर्थिक क्षेत्र में कोई सुसंगत नीति नहीं अपनाई। अपनी आर्थिक नीति द्वारा हिटलर अधिकतर लोगों का समर्थन प्राप्त करना चाहता था और साथ ही जर्मनी को सैन्य और औद्योगिक शक्ति के रूप में स्थापित करना चाहता था।
निष्कर्ष:- नाजी शासन मानवता के विरुद्ध था क्योंकि इसने सत्ता में आते ही प्रजातंत्र को समाप्त कर दिया और अधिनायकवाद को लागू किया। इसने यहूदियों का निर्ममता से दमन किया और नागरिक अधिकारों को समाप्त कर दिया। हिटलर ने नाजी जर्मनी को एक राष्ट्र और एक राज्य का दर्जा प्रदान किया और सभी लोगों को अपने प्रति निष्ठावान बनाने के लिए सांस्कृतिक और सामाजिक कार्य किए। नवयुवकों को शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाता था। नाजियों का व्यवहार सदैव उग्र रहा। इनके विरुद्ध आवाज उठाने वाले नेताओं तथा संस्थाओं को इन्होंने समाप्त कर दिया और उन्हें जेल में बंदी बना लिया।
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