बुकर टी. वाशिंगटन और नागरिक अधिकार आंदोलन

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बुकर टी. वाशिंगटन और नागरिक अधिकार आंदोलन अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन (1955-1968) का उद्देश्य अफ्रीकी अमेरिकी लोगों के खिलाफ नस्लिय भेदभाव को गैर कानूनी घोषित करना और दक्षिण अमेरिका में मतदान अधिकार को पुन: स्थापित करना था। गृहयुद्ध के बाद अश्वेतों को गुलामी से मुक्त कर दिया गया था लेकिन उसके बावजूद भी उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। पुनर्निर्माण और द्वितीय विश्वयुद्ध के बीच अश्वेतों की स्थिति ओर खराब हो गई। इस दौरान बुकर टी. वाशिंगटन इनके लिए एक प्रभावशाली नेता बनकर उभरे। वाशिंगटन ने अफ्रीकी-अमेरिकियों के लिए व्यावसायिक शिक्षा और औद्योगिक शिक्षा को बढ़ावा दिया ताकि वह आर्थिक रूप से संपन्न और कुशल बन सके। पृषठभूमि दक्षिण अमेरिका में अश्वेतों ने संघर्ष कर अपने आपको दासता मुक्त कराया। अश्वेतों ने अपनी संस्थाएं बनाई जिससे अश्वेत राष्ट्रवाद का उदय हुआ। नेशनल नीग्रो कन्वेंशन जैसे कई नीग्रो संगठन बने। गृहयुद्ध के दौरान अफ्रीकी-अमेरिकी नेताओं के बीच कट्टरपंथी विचारों का विकास हुआ। बिशप एम. टर्नर, मार्टिन आर. डेलानी और अलेक्ज़ेंडर क्रूमेल ने अश्वेतों के लिए एक स्वायत्त राज्य की...

अमेरिका में उग्र पुनर्स्थापना की नीतियों एवं कानूनों

 प्रश्न:- 19वीं शताब्दी अमेरिका में उग्र पुनर्स्थापना की नीतियों एवं कानूनों का वर्णन कीजिए।

परिचय:- पुनर्निर्माण के कार्यक्रम के बारे में दक्षिण में गहरे मतभेद थे। उदारवादी पक्ष का कहना था कि दक्षिणी राज्यों को सारे संवैधानिक अधिकार दे देनी चाहिए। उग्रवादी पक्ष की राय थी कि बागान मालिकों की शक्ति को नष्ट कर तथा नस्ली एकता की स्थापना की जानी चाहिए, जिससे भविष्य में फिर कभी संघर्ष न हो। दिसंबर 1865 में कांग्रेस की बैठक हुई। उस समय तक पुनर्निर्माण का सारा कार्य कार्यपालिका के हाथों में था। एंडू् जॉनसन अप्रैल 1865 में राष्ट्रपति बना। उसने लिंकन के कार्यक्रम को अपनाया। जॉनसन ने पुनर्निर्माण का कार्यक्रम लागू किया। उग्रपंथियों को जॉनसन के पुनर्निर्माण कार्यक्रम से आपत्ति थी, इसलिए जब दिसंबर 1865 में कांग्रेस की बैठक हुई तब उन्होंने जॉनसन के कार्य को निष्फल करने तथा पूर्ननिर्माण के कार्य को बिल्कुल भिन्न प्रकार से करने का निश्चय किया। यह चाहते थे कि संघीय सरकार को दक्षिणी राज्य के प्रति ऐसा व्यवहार करना चाहिए कि वे विजित प्रदेशों हो। इन राज्यों को संघ में शामिल करने से पहले उनके ऊपर काफी कठोर शर्तें लागू करने चाहिए। उग्रपंथी नीग्रो अधिकारों की आड़ में अन्य उद्देश्य सिद्ध करना चाहते थे। 

उन्हें डर था कि यदि दक्षिण जॉनसन की शर्तों पर संघ में वापस आता है तो डेमोक्रेटिक पार्टी फिर से प्रतिष्ठित हो जाएगी और रिपब्लिकन पार्टी का संघ सरकार पर नियंत्रण नहीं रहेगा। इससे उन आर्थिक वर्गों को भी खतरा था जिनका प्रतिनिधित्व रिपब्लिकन पार्टी करती थी। यदि नीग्रो लोगों को मताधिकार दे दिया जाता तो रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत बना रहेगा। दक्षिण के कई राज्यों में नीग्रो लोगों का बहुमत था। उम्मीद की जा सकती थी कि जिस दल ने उन्हें स्वतंत्रता दिलाई है, वे उसे वोट देंगे।

उग्रवादियों का कांग्रेस के दोनों सदनों में बहुमत था। उन्होंने दक्षिणी राज्यों के प्रतिनिधियों को कांग्रेस में नहीं बैठने दिया। पुनर्निर्माण के प्रश्न पर विचार करने के लिए दोनों सदनों की एक संयुक्त समिति नियुक्त की गई। समिति में कुल 15 सदस्य थे। "थाडेयस स्टीवंस" जो कि उग्रवादियों का योग्य नेता था, को इस समिति का सदस्य नियुक्त किया गया। इस समिति के प्रभाव से कांग्रेस ने "सिविल राइट्स बिल" पास किया। इस विधायक ने नीग्रो लोगों को गोरे लोगों के समान अधिकार प्रदान किए। संयुक्त समिति ने इस बात का साक्ष्य एकत्रित किया कि दक्षिण संघ के प्रति निष्ठावान नहीं रह सकता। 1866 में समिति ने संविधान के 14वे संशोधन की सिफारिश की। कांग्रेस ने इस संशोधन को स्वीकार कर लिया।

इस संशोधन की पहली धारा में कहा गया था कि यूनाइटेड स्टेट्स में उत्पन्न अथवा उसके शासनाधिकार के अधीन सब मनुष्य यूनाइटेड स्टेट्स के उस राज्य के नागरिक होंगे जिसमें कि वे रहते हैं। कोई सदस्य राज्य ऐसा कोई कानून नहीं बनाएगा या लागू करेगा जिससे यूनाइटेड स्टेट्स के नागरिकों के विशेषाधिकारों व स्वतंत्रताओं में अंतर आता है, न ही कोई राज्य किसी को, बिना कानूनी कार्यवाही के जीवन संपत्ति व स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित कर सकेगा और न ही अपने शासन अधिकार क्षेत्र में किसी व्यक्ति के लिए कानून की समान सुरक्षा से इंकार कर सकेगा। यह संशोधन समूचे संविधान का सबसे महत्वपूर्ण भाग बना।

अन्य धाराओं में कहा गया था कि यदि राज्य किसी पुरुष नागरिक को मतदान के अधिकार से वंचित करेंगे तो कांग्रेस में उनका प्रतिनिधित्व उसी अनुपात में कम हो जाएगा। यदि किसी अधिकारी ने कॉन्फिडरेंसी की सहायता की है, तो वह कोई सरकारी पद ग्रहण नहीं कर सकेगा। जब यह संशोधन समर्थन के लिए राज्यों के पास भेजा गया तब टेनेसी के अलावा दक्षिण के सभी राज्यों ने उसे अस्वीकार कर दिया। कांग्रेस ने टेनेसी को तो संघ में वापस ले लिया लेकिन अन्य दक्षिणी राज्य को मान्यता नहीं दी।

1866 का निर्वाचन:- 1866 में कांग्रेस के निर्वाचन हुए। रिपब्लिकन पार्टी के संगठन पर उग्रवादियों का नियंत्रण था। सीनेट तथा हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स दोनों में उग्रवादियों की निर्णायक विजय हुई। अब उग्रवादियों ने जॉनसन के पुनर्निर्माण के कार्यक्रम में हस्तक्षेप करना आरंभ कर दिया। उन्होंने कोशिश की कि वह नाम मात्र का प्रधान रहे तथा शासन की वास्तविक शक्ति कांग्रेस के हाथों में आ जाए। "टेन्योर ऑफ ऑफिस एक्ट" द्वारा राष्ट्रपति के लिए यह आवश्यक हो गया कि वह पदाधिकारियों को बर्खास्त करते समय सीनेट की स्वीकृति ले। "कमांड ऑफ द आर्मी एक्ट" द्वारा सर्वोच्च सेनापति के रूप में राष्ट्रपति की संवैधानिक शक्तियों पर अंकुश लग गया। इसके द्वारा राष्ट्रपति सेना अध्यक्ष से बिना संपर्क स्थापित किए कोई सैन्य आदेश जारी नहीं कर सकता था। सेनाध्यक्ष का कार्य-स्थान वॉशिंगटन में रखा गया। बिना सीनेट की अनुमति के वह दूसरे जगह नहीं भेजा जा सकता था या उसे मुक्त नहीं किया जा सकता था। 

इस एक्ट के तहत वह ग्रांट को सेना अध्यक्ष के पद से नहीं हटा सकता था। ग्रांट ने शुरू में तो जॉनसन का साथ दिया था लेकिन अब वह उग्रवादियों के साथ मिल गया था। मार्च 1867 में पुनर्निर्माण अधिनियम का कार्य शुरू हुआ। समूचे कान्फीडरेसी क्षेत्र को 5 जिलों में बांट दिया गया था और उन्हें सेना के जनरल के अधीन रखा गया था।

संघ की सेवा इन जनरलो की सहायता के लिए थे। जनरलो को मतदाताओं की सूची तैयार करनी थी। इस सूची में नीग्रो को भी शामिल किया जाना था। जिन लोगों को राजद्रोह के कारण मतदान से वंचित कर दिया गया था, उन्हें इस सूची में शामिल नहीं करना था। जनरल को संवैधानिक सम्मेलनों की व्यवस्था करनी थी। राज्यों के लिए नए संविधान का निर्माण करना था और इन संविधानो के लिए कांग्रेस की मंजूरी प्राप्त करनी थी। संविधान के 14वें संशोधन को स्वीकार करना था इन सारी शर्तों के पूरी होने पर राज्यों के प्रतिनिधियों को कांग्रेस में स्थान दिया जा सकता था।

जॉनसन पर महाभियोग:- जॉनसन ने पुनर्निर्माण अधिनियम पर निशेषाधिकार का प्रयोग किया, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस ने अधिनियम को पास कर दिया। इससे उग्रवादी नाराज हो गए और उन्होंने राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने का मन बनाया। जब राष्ट्रपति ने युद्ध मंत्री स्टेंटन को निलंबित करने की कोशिश की, तब उग्रवादियों ने जॉनसन पर टेन्योर ऑफ ऑफिस एक्ट के उल्लंघन के अपराध में जॉनसन पर महाभियोग लागू कर दिया। लेकिन उग्रवादी जॉनसन पर लगाए गए आरोप को सिद्ध नहीं कर सके। अंतत: जॉनसन के विरुद्ध यह महाभियोग वापस ले लिया गया। 

1868 के निर्वाचन में रिपब्लिकन पार्टी ने जनरल ग्रांट को राष्ट्रपति के पद के लिए उम्मीदवार बनाया। डेमोक्रेटिक पार्टी न्यूयॉर्क के होरेशिओ सीमोर को ग्रांट के मुकाबले अपना उम्मीदवार चुना। निर्वाचन में ग्रांट विजय हुआ और राष्ट्रपति बन गया। उग्रवादियों का पुनर्निर्माण कार्यक्रम दक्षिण के गोरे लोगों को पसंद नहीं था। इस कार्यक्रम के कारण वे निग्रो के मताधिकार के विरुद्ध हो गए। वे नहीं चाहते थे कि उत्तर के लोग उनकी संस्थाओं में हस्तक्षेप करें।

जब जनरलो ने 1867 के पुनर्निर्माण अधिनियम के अनुसार दक्षिण के 10 राज्यों में मतदाताओं की सूची तैयार की, तब पता चला कि 703,000 नीग्रो तथा 627,000 को मतदान का अधिकार प्राप्त था। करीब 2,00,000 गोरों से राजनीतिक अधिकार छीन लिए गए थे क्योंकि उन्होंने जानबूझकर कान्फीडरेसी की सहायता की थी। 1870 तक सभी राज्यों के संविधानों के निर्माण, गवर्नर की नियुक्ति, विधानमंडलों की स्थापना तथा 14वें संशोधन के अनुमोदन का कार्य पूरा हो गया तथा उन्हें संघ में शामिल कर लिया गया। लेकिन इन राज्यों में नई सरकारों को सत्ता में बनाए रखने के लिए संघीय सेनाओं की आवश्यकता थी। इसलिए संघीय सैनिकों को अभी दक्षिण के राज्यों से नहीं हटाया गया। नई सरकारें मुख्य रूप से निग्रो लोगों के मतों पर आधारित थी। नए नेताओं में अधिकतर उत्तर के लोग थे।

दक्षिण के राज्यों ने अपने सुधार कार्यक्रम में उत्तर का अनुगमन किया। उन्होंने काउंटी सरकार, न्यायपालिका तथा कराधान पद्धति का इस तरह से संगठन किया जिससे समानता की वृद्धि हो तथा बागान मालिक अपने विशेषाधिकारों से वंचित हो जाए। सरकारों ने गरीबों की सहायता के लिए अनेक उपाय किए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि उन्होंने सबके लिए शिक्षा का प्रबंध किया। रेलों, पुलों तथा सार्वजनिक इमारतों की मरम्मत की गई। इसके लिए धन की जरूरत थी और सरकारों ने करो के द्वारा तथा उधार लेकर धन एकत्रित किए।

दक्षिण के गोरे नीग्रो को अपना प्रतिद्वंदी समझते थे। उन्होंने छोटे किसानों के समर्थन से पुनर्निर्माण कार्यक्रम का विरोध किया। दक्षिण के सभी गोरे डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य बन गए। इन गोरो ने नीग्रो लोगों को दबाने के लिए संगठन का निर्माण किया। इस संगठन ने बहुत से नीग्रो को सताया तथा अनेकों की हत्या तक की। कांग्रेस में रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों ने 1870- 71 में "एनफोर्समेंट एक्ट" पास कर दक्षिणी राज्यों में हिंसा को दबाने की कोशिश की। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के कारण इन अधिनियम को दृढ़ता से लागू नहीं किया जा सका। धीरे-धीरे दक्षिण के सभी राज्यों में डेमोक्रेटिक पार्टी की सत्ता स्थापित हो गई।

निष्कर्ष:- उग्रवादियों ने नीग्रो लोगों का समर्थन प्राप्त करने तथा रिपब्लिकन पार्टी को सत्ता में लाने के लिए अपने हित में कानून तथा नीतियों को लागू किया। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने राष्ट्रपति जॉनसन पर भी महाभियोग लगाया तथा अपने दल के सदस्य को राष्ट्रपति के लिए मनोनीत किया तथा उसे विजयी बनाया। उग्रवादियों को निरंतर दक्षिण के गोरे लोगों का विरोध सहना पड़ा क्योंकि वह नीग्रो लोगों की स्वतंत्रता के खिलाफ थे। उग्रवादियों ने इनके खिलाफ कुछ कानूनों को लागू किया लेकिन वह असफल रहे। आगे चलकर दक्षिण में डेमोक्रेटिक पार्टी की सत्ता स्थापित हो गई।

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